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Hindi Vyakaran Lokokti PDF

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Hindi Vyakaran Lokokti PDF

Hindi Vyakaran Lokokti PDF ( हिन्दी व्याकरण लोकोक्ति ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के लोकोक्ति टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।

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हिन्दी व्याकरण लोकोक्ति पीडीएफ़  (Hindi Vyakaran Lokokti pdf)

1. अपनी करनी पार उतरनी = जैसा करना वैसा भरना
2. आधा तीतर आधा बटेर = बेतुका मेल
3. अधजल गगरी छलकत जाए = थोड़ी विद्या या थोड़े धन को पाकर वाचाल हो जाना
4. अंधों में काना राजा = अज्ञानियों में अल्पज्ञ की मान्यता होना
5. अपनी अपनी ढफली अपना अपना राग = अलग अलग विचार होना
6. अक्ल बड़ी या भैंस = शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति की श्रेष्ठता होना
7. आम के आम गुठलियों के दाम = दोहरा लाभ होना
8. अपने मुहं मियाँ मिट्ठू बनना = स्वयं की प्रशंसा करना
9. आँख का अँधा गाँठ का पूरा = धनी मूर्ख
10. अंधेर नगरी चौपट राजा = मूर्ख के राजा के राज्य में अन्याय होना

11. आ बैल मुझे मार = जान बूझकर लड़ाई मोल लेना
12. आगे नाथ न पीछे पगहा = पूर्ण रूप से आज़ाद होना
13. अपना हाथ जगन्नाथ = अपना किया हुआ काम लाभदायक होता है
14. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत = पहले सावधानी न बरतना और बाद में पछताना
15. आगे कुआँ पीछे खाई = सभी और से विपत्ति आना
16. ऊंची दूकान फीका पकवान = मात्र दिखावा
17. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे = अपना दोष दूसरे के सर लगाना
18. उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना = धीरे धीरे साहस बढ़ जाना
19. उलटे बांस बरेली को = विपरीत कार्य करना
20. उतर गयी लोई क्या करेगा कोई = इज्ज़त जाने पर डर कैसा

21. ऊधौ का लेना न माधो का देना = किसी से कोई सम्बन्ध न रखना
22. ऊँट की चोरी निहुरे – निहुरे = बड़ा काम लुक – छिप कर नहीं होता
23. एक पंथ दो काज = एक काम से दूसरा काम
24. एक थैली के चट्टे बट्टे = समान प्रकृति वाले
25. एक म्यान में दो तलवार = एक स्थान पर दो समान गुणों या शक्ति वाले व्यक्ति साथ नहीं रह सकते
26. एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है = एक खराब व्यक्ति सारे समाज को बदनाम कर देता है
27. एक हाथ से ताली नहीं बजती = झगड़ा दोनों और से होता है
28. एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा = दुष्ट व्यक्ति में और भी दुष्टता का समावेश होना
29. एक अनार सौ बीमार = कम वस्तु , चाहने वाले अधिक
30. एक बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय = अकर्मण्य को कोई भी नहीं रखना चाहता

31. ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरना = जान बूझकर प्राणों की संकट में डालने वाले प्राणों की चिंता नहीं करते
32. अंगूर खट्टे हैं = वस्तु न मिलने पर उसमें दोष निकालना
33. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली = बेमेल एकीकरण
34. काला अक्षर भैंस बराबर = अनपढ़ व्यक्ति
35. कोयले की दलाली में मुहं काला = बुरे काम से बुराई मिलना
36. काम का न काज का दुश्मन अनाज का = बिना काम किये बैठे बैठे खाना
37. काठ की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती= कपटी व्यवहार हमेशा नहीं किया जा सकता
38. का बरखा जब कृषि सुखाने = काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है
39. कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर = समय पड़ने पर एक दुसरे की मदद करना
40. खोदा पहाड़ निकली चुहिया = कठिन परिश्रम का तुच्छ परिणाम

41. खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे = अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का काम करना
42. खग जाने खग की ही भाषा = समान प्रवृति वाले लोग एक दुसरे को समझ पाते हैं
43. गंजेड़ी यार किसके, दम लगाई खिसके = स्वार्थ साधने के बाद साथ छोड़ देते हैं
44. गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज = ढोंग रचना
45. घर की मुर्गी दाल बराबर = अपनी वस्तु का कोई महत्व नहीं
46. घर का भेदी लंका ढावे = घर का शत्रु अधिक खतरनाक होता है
47. घर खीर तो बाहर भी खीर = अपना घर संपन्न हो तो बाहर भी सम्मान मिलता है
48. चिराग तले अँधेरा = अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता
49. चोर की दाढ़ी में तिनका = अपराधी व्यक्ति सदा सशंकित रहता है
50. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए = कंजूस होना

51. चोर चोर मौसेरे भाई = एक से स्वभाव वाले व्यक्ति
52. जल में रहकर मगर से बैर = स्वामी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए
53. जाके पाँव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई = भुक्तभोगी ही दूसरों का दुःख जान पाता है
54. थोथा चना बाजे घना = ओछा आदमी अपने महत्व का अधिक प्रदर्शन करता है
55. छाती पर मूंग दलना = कोई ऐसा काम होना जिससे आपको और दूसरों को कष्ट पहुंचे
56. दाल भात में मूसलचंद = व्यर्थ में दखल देना
57. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का = कहीं का न रहना
58. नेकी और पूछ पूछ = बिना कहे ही भलाई करना
59. नीम हकीम खतरा ए जान = थोडा ज्ञान खतरनाक होता है
60. दूध का दूध पानी का पानी = ठीक ठीक न्याय करना

61. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद = गुणहीन गुण को नहीं पहचानता
62. पर उपदेश कुशल बहुतेरे = दूसरों को उपदेश देना सरल है
63. नाम बड़े और दर्शन छोटे = प्रसिद्धि के अनुरूप गुण न होना
64. भागते भूत की लंगोटी सही = जो मिल जाए वही काफी है
65. मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती गले पड़ना
66. सर मुंडाते ही ओले पड़ना = कार्य प्रारंभ होते ही विघ्न आना
67. हाथ कंगन को आरसी क्या = प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत है
68. होनहार बिरवान के होत चिकने पात = होनहार व्यक्ति का बचपन में ही पता चल जाता है
69. बद अच्छा बदनाम बुरा = बदनामी बुरी चीज़ है
70. मन चंगा तो कठौती में गंगा = शुद्ध मन से भगवान प्राप्त होते हैं

71. आँख का अँधा, नाम नैनसुख = नाम के विपरीत गुण होना
72. ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया = संसार में कहीं सुख है तो कहीं दुःख है
73. उतावला सो बावला = मूर्ख व्यक्ति जल्दबाजी में काम करते हैं
74. ऊसर बरसे तृन नहिं जाए = मूर्ख पर उपदेश का प्रभाव नहीं पड़ता
75. ओछे की प्रीति बालू की भीति = ओछे व्यक्ति से मित्रता टिकती नहीं है
76. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा = सिद्धांतहीन गठबंधन
77. कानी के ब्याह में सौ जोखिम = कमी होने पर अनेक बाधाएं आती हैं
78. को उन्तप होब ध्यहिंका हानी = परिवर्तन का प्रभाव न पड़ना
79. खाल उठाए सिंह की स्यार सिंह नहिं होय = बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते
80. गागर में सागर भरना = कम शब्दों में अधिक बात करना

81. घर में नहीं दाने , अम्मा चली भुनाने = सामर्थ्य से बाहर कार्य करना
82. चौबे गए छब्बे बनने दुबे बनकर आ गए = लाभ के बदले हानि
83. चन्दन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग = सज्जन पर कुसंग का प्रभाव नहीं पड़ता
84. जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ = दुष्टों की प्रवृति एक जैसी होना
85. डेढ़ पाव आटा पुल पै रसोई = थोड़ी सम्पत्ति पर भारी दिखावा
86. तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता = झूठी रईसी दिखाना
87. पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं = पराधीनता में सुख नहीं है
88. प्रभुता पाहि काहि मद नहीं = अधिकार पाकर व्यक्ति घमंडी हो जाता है
89. मेंढकी को जुकाम = अपनी औकात से ज्यादा नखरे
90. शौक़ीन बुढिया चटाई का लहंगा = विचित्र शौक

91. सूरदास खलकारी का या चिदै न दूजो रंग = दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता
92. तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार = दृढ प्रतिज्ञ लोग अपनी बात पे डटे रहते हैं
93. सौ सुनार की, एक लुहार की = निर्बल की सौ चोटों की तुलना में बलवान की एक चोट काफी है
94. भई गति सांप छछूंदर केरी = असमंजस की स्थिति में पड़ना
95. पुचकारा कुत्त सिर चढ़े = ओछे लोग मुहं लगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं
96. मुहं में राम बगल में छुरी = कपटपूर्ण व्यवहार
97. जंगल में मोर नाचा किसने देखा = गुण की कदर गुणवानों के बीच ही होती है
98. चट मंगनी पट ब्याह = शुभ कार्य तुरंत संपन्न कर देना चाहिए
99. ऊंट बिलाई लै गई तौ हाँजी-हाँजी कहना = शक्तिशाली की अनुचित बात का समर्थन करना
100. तीन लोक से मथुरा न्यारी = सबसे अलग रहना

लोकोक्तियां व कहावतें :-
1. अधजल गगरी छलकत जाए-(कम गुण वाला व्यक्ति दिखावा बहुत करता है) – श्याम बातें तो ऐसी करता है जैसे हर विषय में मास्टर हो, वास्तव में उसे किसी विषय का भी पूरा ज्ञान नहीं-अधजल गगरी छलकत जाए।
2. अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत-(समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ) – सारा साल तुमने पुस्तकें खोलकर नहीं देखीं। अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
3. आम के आम गुठलियों के दाम-(दुगुना लाभ) – हिन्दी पढ़ने से एक तो आप नई भाषा सीखकर नौकरी पर पदोन्नति कर सकते हैं, दूसरे हिन्दी के उच्च साहित्य का रसास्वादन कर सकते हैं, इसे कहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।
4. ऊँची दुकान फीका पकवान-(केवल ऊपरी दिखावा करना) – कनॉटप्लेस के अनेक स्टोर बड़े प्रसिद्ध है, पर सब घटिया दर्जे का माल बेचते हैं। सच है, ऊँची दुकान फीका पकवान।
5. घर का भेदी लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेद खोलना) – कई व्यक्ति पहले कांग्रेस में थे, अब जनता (एस) पार्टी में मिलकर काग्रेंस की बुराई करते हैं। सच है, घर का भेदी लंका ढाए।
6. जिसकी लाठी उसकी भैंस-(शक्तिशाली की विजय होती है) – अंग्रेजों ने सेना के बल पर बंगाल पर अधिकार कर लिया था-जिसकी लाठी उसकी भैंस।
7. जल में रहकर मगर से वैर-(किसी के आश्रय में रहकर उससे शत्रुता मोल लेना)- जो भारत में रहकर विदेशों का गुणगान करते हैं, उनके लिए वही कहावत है कि जल में रहकर मगर से वैर।
8. थोथा चना बाजे घना-(जिसमें सत नहीं होता वह दिखावा करता है) – गजेंद्र ने अभी दसवीं की परीक्षा पास की है, और आलोचना अपने बड़े-बड़े गुरुजनों की करता है। थोथा चना बाजे घना।
9. दूध का दूध पानी का पानी-(सच और झूठ का ठीक फैसला) – सरपंच ने दूध का दूध,पानी का पानी कर दिखाया, असली दोषी मंगू को ही दंड मिला।
10. दूर के ढोल सुहावने-(जो चीजें दूर से अच्छी लगती हों) – उनके मसूरी वाले बंगले की बहुत प्रशंसा सुनते थे किन्तु वहाँ दुर्गंध के मारे तंग आकर हमारे मुख से निकल ही गया-दूर के ढोल सुहावने।

11. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी-(कारण के नष्ट होने पर कार्य न होना) – सारा दिन लड़के आमों के लिए पत्थर मारते रहते थे। हमने आँगन में से आम का वृक्ष की कटवा दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
12. नाच न जाने आँगन टेढ़ा-(काम करना नहीं आना और बहाने बनाना) – जब रवींद्र ने कहा कि कोई गीत सुनाइए, तो सुनील बोला, ‘आज समय नहीं है’। फिर किसी दिन कहा तो कहने लगा, ‘आज मूड नहीं है’। सच है, नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
13. बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख-(माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती है, माँगने पर साधारण भी नहीं मिलती) – अध्यापकों ने माँगों के लिए हड़ताल कर दी, पर उन्हें क्या मिला ? इनसे तो बैक कर्मचारी अच्छे रहे, उनका भत्ता बढ़ा दिया गया। बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख।
14. मान न मान मैं तेरा मेहमान-(जबरदस्ती किसी का मेहमान बनना) – एक अमेरिकन कहने लगा, मैं एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अध्ययन करूँगा। मैंने मन में कहा, अजब आदमी है, मान न मान मैं तेरा मेहमान।
15. मन चंगा तो कठौती में गंगा-(यदि मन पवित्र है तो घर ही तीर्थ है) – भैया रामेश्वरम जाकर क्या करोगे ? घर पर ही ईशस्तुति करो। मन चंगा तो कठौती में गंगा।
16. दोनों हाथों में लड्डू-(दोनों ओर लाभ) – महेंद्र को इधर उच्च पद मिल रहा था और उधर अमेरिका से वजीफा उसके तो दोनों हाथों में लड्डू थे।
17. नया नौ दिन पुराना सौ दिन-(नई वस्तुओं का विश्वास नहीं होता, पुरानी वस्तु टिकाऊ होती है) – अब भारतीय जनता का यह विश्वास है कि इस सरकार से तो पहली सरकार फिर भी अच्छी थी। नया नौ दिन, पुराना नौ दिन।
18. बगल में छुरी मुँह में राम-राम-(भीतर से शत्रुता और ऊपर से मीठी बातें) – साम्राज्यवादी आज भी कुछ राष्ट्रों को उन्नति की आशा दिलाकर उन्हें अपने अधीन रखना चाहते हैं, परन्तु अब सभी देश समझ गए हैं कि उनकी बगल में छुरी और मुँह में राम-राम है।
19. लातों के भूत बातों से नहीं मानते-(शरारती समझाने से वश में नहीं आते) – सलीम बड़ा शरारती है, पर उसके अब्बा उसे प्यार से समझाना चाहते हैं। किन्तु वे नहीं जानते कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
20. सहज पके जो मीठा होय-(धीरे-धीरे किए जाने वाला कार्य स्थायी फलदायक होता है) – विनोबा भावे का विचार था कि भूमि सुधार धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक लाना चाहिए क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
21. साँप मरे लाठी न टूटे-(हानि भी न हो और काम भी बन जाए) – घनश्याम को उसकी दुष्टता का ऐसा मजा चखाओ कि बदनामी भी न हो और उसे दंड भी मिल जाए। बस यही समझो कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
22. अंत भला सो भला-(जिसका परिणाम अच्छा है, वह सर्वोत्तम है) – श्याम पढ़ने में कमजोर था, लेकिन परीक्षा का समय आते-आते पूरी तैयारी कर ली और परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसी को कहते हैं अंत भला सो भला।
23. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए-(बहुत कंजूस होना) – महेंद्रपाल अपने बेटे को अच्छे कपड़े तक भी सिलवाकर नहीं देता। उसका तो यही सिद्धान्त है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
24. सौ सुनार की एक लुहार की-(निर्बल की सैकड़ों चोटों की सबल एक ही चोट से मुकाबला कर देते है) – कौरवों ने भीम को बहुत तंग किया तो वह कौरवों को गदा से पीटने लगा-सौ सुनार की एक लुहार की।
25. सावन हरे न भादों सूखे-(सदैव एक-सी स्थिति में रहना) – गत चार वर्षों में हमारे वेतन व भत्ते में एक सौ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। उधर 25 प्रतिशत दाम बढ़ गए हैं-भैया हमारी तो यही स्थिति रही है कि सावन हरे न भागों सूखे।


Hindi Grammar and Pedagogy PDF ( हिन्दी व्याकरण एवं शिक्षण विधियाँ )

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