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Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

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Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF ( संस्कृत व्याकरण शब्द रूप ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Grammar) के शब्द रूप टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट सभी शिक्षक भर्ती परीक्षा व्याख्याता (School Lecturer), द्वितीय श्रेणी अध्यापक (2nd Grade Teacher), REET 2021, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।

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Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF ( संस्कृत व्याकरण शब्द रूप )

दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को ‘शब्द’ कहते है, जिसका कोई न कोई अर्थ अवश्य हो।





संस्कृत में शब्दों को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा जा सकता है-

 (1) संज्ञा

(2) सर्वनाम

(3) विशेषण

(4) क्रिया

(5) अव्यय

संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण में लिंग, कारक और वचन के अनुसार परिवर्तन होता है। क्रिया में काल, पुरुष और वचन के अनुसार परिवर्तन होता है तथा अव्ययों में किसी भी दशा में (लिंग, कारक, वचन आदि के कारण) कोई परिवर्तन नहीं होता।

संस्कृत में निम्नलिखित तीन लिंग होते हैं-

 (1) पुंल्लिग— जिससे पुरुष जाति का बोध होता है; जैसे- राम:, कविः।

(2) स्त्रीलिंग- जिससे स्त्री जाति का बोध होता है; जैसे – नदी:, मतिः, धेनुः, वधू, माती आदि।

(3) नपुंसकलिंग- जिससे न पुरुष जाति का बोध होता है और न स्त्री जाति का; जैसे-फलम्, वारि, मधु, जगत् आदि।।

संस्कृत में निम्नलिखित तीन वचन होते हैं-

(1) एकवचन- जिनसे एक वस्तु का बोध होता है; यथा—बालकः पठति।

(2) द्विवचन- जिनसे दो वस्तुओं का बोध होता है; यथा-बालकौ पठतः।।

(3) बहुवचन- जिनसे दो से अधिक वस्तुओं का बोध होता है; यथा–बालकाः पठन्ति।

स्वर व व्यंजन के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते है ।

  1. अजन्त (स्वरान्त) शब्द -‘अजन्त’ शब्द ‘अच् + अन्त’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है। संस्कृत भाषा में स्वर को ‘अच्’ के नाम से जाना जाता है। अर्थात् जिसके अन्त में. अच् (स्वर) हैं उन्हें अजन्त शब्द कहते हैं। जैसे- रमा, नदी, राम आदि।
  2. हलन्त (व्यंजनान्त) शब्द – हलन्त् शब्द ‘हल् + अन्त’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है। संस्कृत भाषा में ‘हल्’ को व्यंजन के नाम से जाना जाता है। अतः वे शब्द हलन्त कहलाते हैं जिनके अन्त में व्यंजन होते हैं; जैसे- राजन्, भवत्, दिर् आदि।

सभी संज्ञा शब्दों को निम्नलिखित छः वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

 (1) स्वरान्त पुंल्लिग शब्द – राम, कवि, भानु, पितृ, गो आदि।

(2) स्वरान्त नपुंसकलिंग शब्द – फल, वारि, मधु आदि।

(3) स्वरान्त स्त्रीलिंग शब्द – माला, मति, धेनु, नदी, वधू, मातृ आदि।

(4) व्यंजनान्त पुंल्लिग शब्द – करिन्, आत्मन्, राजन्, मरुत्, सुहद् आदि।।

(5) व्यंजनान्त नपुंसकलिंग शब्द – मनस्, जगत्, नाम आदि।

(6) व्यंजनान्त स्त्रीलिंग शब्द – वाच्, सरित्, विपद् आदि।

शब्द रूप याद करने के लिए नियम

  • नियम 1 – राम, हरि, गुरु, मति, धेनु शब्दों के प्रथम विभक्ति के एकवचन मे विसर्ग लगता है।
  • नियम 2- आकारांत व ईकारांत शब्द के प्रथम विभक्ति के एकवचन मे विसर्ग नहीं लगता है ।
  • नियम 3 – राम, हरि, बालक, कवि, गुरु आदि शब्द के द्वितीय विभक्ति के एकवचन मे ‘म’ जुड़ता है ।
  • नियम 4 – अ, इ, उ, ऋ पुल्लिंग शब्दो के द्वितीय विभक्ति के बहुवचन मे अंतिम अक्षर को दीर्घ करके ‘न’ हलंत जुड़ जाता है ।
  • नियम 5 – आ, इ, उ, ऋ स्त्रीलिंग शब्द के द्वितीय विभक्ति के बहुवचन मे अंतिम अक्षर दीर्घ करके विसर्ग जुड़ जाता है ।
  • नियम 6 – राम, हरि, नदी, गुरु आदि शब्दों के तृतीया विभक्ति द्विवचन मे ‘भ्याम’ जुड़ जाता है।
  • नियम 7 – रमा, गुरु, नदी, हरि आदि शब्दों के तृतीया बहुवचन मे ‘भि’ जुड़ जाता है। नोट – राम, बालक शब्दों मे ‘ऐ’ जुड़ जाता है।
  • नियम 8 – रमा, गुरु, नदी, हरि आदि शब्दों के चतुर्थी विभक्ति बहुवचन मे ‘भ्य:’ जुड़ जाता है । नोट – राम शब्द मे ‘भ्य’ से पहले ‘ए’ जुड़ता है।
  • नियम 9 – षष्ठी विभक्ति बहुवचन मे ‘नाम’या ‘णाम’ जुड़ जाता है।
  • नियम 10 – सप्तमी विभक्ति बहुवचन मे ‘सु’ या ‘षु’ जुड़ जाता है ।
  • नियम 11 – प्रथम, द्वितीय विभक्ति का द्विवचन एक होता है।
  • नियम 12 – तृतीया, चतुर्थी, पंचमी विभक्ति का द्विवचन एक होते है।
  • नियम 13 – षष्ठी, सप्तमी विभक्ति के द्विवचन एक होते है ।
  • नियम 14 – चतुर्थी, पंचमी का बहुवचन एक होता है ।

1. अकारांत पुल्लिंग ‘राम’ शब्द रूप Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमारामःरामौरामाः
द्वितीयारामम्रामौरामान्
तृतीयारामेणरामाभ्याम्रामैः
चतुर्थीरामायरामाभ्याम्रामेभ्यः
पंचमीरामात्रामाभ्याम्रामेभ्यः
षष्ठीरामस्यरामयोःरामाणाम्
सप्तमीरामेरामयोःरामेषु
सम्बोधनहे राम !हे रामौ !हे रामाः !

नोट -इसी प्रकार ह्रस्व ‘अ’ पर समाप्त होने वाले पुल्लिंग संज्ञा शब्द- मोहन, शिव, नृप (राजा), बालक, सुत (बेटा), गज (हाथी) पुत्र, कृष्ण, जनक (पिता), पाठ, ग्राम, विद्यालय, अश्व (घोड़ा), ईश्वर (ईश या स्वामी), बुद्ध, मेघ (बादल), नर (मनुष्य), युवक (जवान), जन (मनुष्य), पुरुष, वृक्ष, सूर्य, चन्द्र (चन्द्रमा), सज्जन, विप्र (ब्राह्मण), क्षत्रिय, दुर्जन (दुष्ट पुरुष), प्राज्ञ (विद्वान्), लोक (संसार), उपाध्याय (गुरु), वृद्ध (बूढ़ा), शिष्य, प्रश्न, सिंह (शेर), वेद, क्रोश (कोस), धर्म , सागर (समुद्र), कृषक (किसान), छात्र (विद्यार्थी), मानव, भ्रमर, सेवक, समीर (हवा), सरोवर और यज्ञ आदि के रूप चलते हैं।

2. इकारान्त पुल्लिंग ‘हरिः’ शब्द रूप

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाहरिःहरीहरयः
द्वितीयाहरिंहरीहरीन्
तृतीयाहरिणाहरिभ्याम्हरिभिः
चतुर्थीहरयेहरिभ्याम्हरिभ्यः
पंचमीहरेःहरिभ्याम्हरिभ्यः
षष्ठीहरेःहर्योःहरीणां
सप्तमीहरौहर्योःहरिषु
सम्बोधनहे हरे !हे हरी !हे हरयः !

नोट-इस प्रकार ह्रस्व ‘इ’ पर समाप्त होने वाले सभी पुल्लिंग संज्ञा शब्द-कवि, बह्नि (आग), यति, नृपति , भूपति, गणपति, प्रजापति (ब्रह्मा), रवि (सूर्य), कपि, अग्नि , मुनि, जलधि, ऋषि, गिरि, विधि, मरीचि, सेनापति, धनपति, विद्यापति, असि, शिवि, ययाति और अरि (शत्रु) आदि के रूप चलते हैं।

3. उकारान्त पुल्लिग’ गुरु’ शब्द रूप Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमागुरुःगुरूगुरवः
द्वितीयागुरुम्गुरूगुरून्
तृतीयागुरुणागुरुभ्याम्गुरुभिः
चतुर्थीगुरवेगुरुभ्याम्गुरुभ्यः
पंचमीगुरोःगुरुभ्याम्गुरुभ्यः
षष्ठीगुरोःगुर्वोःगुरुणाम्
सप्तमीगुरौगुर्वोःगुरुषु
सम्बोधनहे गुरो !हे गुरू !हे गुरवः !

नोट-इसी प्रकार भानु, साधु, शिशु, इन्दु, रिपु, शत्रु, शम्भु, विष्णु आदि शब्दों के रूप चलते हैं।

4.  ऋकारान्त पुल्लिग ‘पितृ’ (पिता) शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमापितापितरौपितरः
द्वितीयापितरम्पितरौपितृन्
तृतीयापित्रापितृभ्याम्पितृभि
चतुर्थीपित्रेपितृभ्याम्पितृभ्यः
पंचमीपितुःपितृभ्याम्पितृभ्यः
षष्ठीपितुःपित्रोःपितृणाम्
सप्तमीपितरिपित्रोःपितृषु
सम्बोधनहे पितः !हे पितरौ !हे पितरः !

नोट-इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य पुल्लिग शब्दों-भ्रातृ (भाई) और जामातृ (जमाई, दामाद) आदि के रूप चलेंगे।

5. आकारांत स्त्रीलिंग ‘रमा’ शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमारमारमेरमा:
द्वितीयारमाम्रमेरमा:
तृतीयारमयारमाभ्याम्रमाभि:
चतुर्थीरमायैरमाभ्याम्रमाभ्य:
पंचमीरमाया:रमाभ्याम्रमाभ्य:
षष्ठीरमाया:रमयो:रमाणाम्
सप्तमीरमायाम्रमयो:रमासु
सम्बोधनहे रमे !हे रमे !हे रमा: !

नोट – इसी प्रकार दीर्घ (बड़े) ‘आ’ से अन्त होने वाले अन्य स्त्रीलिंग शब्दों-बाला, लता, कन्या, रक्षा, कथा, क्रीडा, पाठशाला, शीला, लीला, सीता, गीता, विमला, प्रमिला, प्रभा, विभा, सुधा, चेष्टा, विद्या, कक्षां, व्यथा और बालिका आदि के रूप चलते हैं।

6. इकारान्त स्त्रीलिंग ‘मति’ (बुद्धि) शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमामतिःमतीमतयः
द्वितीयामतिम्मतीमतीः
तृतीयामत्यामतिभ्याम्मतिभिः
चतुर्थीमतये, मतैमतिभ्याम्मतिभ्यः
पंचमीमतेः, मत्योःमतिभ्याम्मतिभ्यः
षष्ठीमतेः, मत्याःमत्योःमतीनाम्
सप्तमीमतौ, मत्याम्मत्योःमतिषु
सम्बोधनहे मते !हे मती !हे मतयः !

नोट-इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘इ’ से अन्त होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों-प्रकृति, शक्ति, तिथि, भीति, गति, कृति, वृत्ति, बुद्धि, सिद्धि, सृष्टि, श्रुति , स्मृति , भूमि, प्रीति, भक्ति और सूक्ति आदि के रूप चलते हैं।

7. ईकारान्त स्त्रीलिंग ‘नदी’ शब्द रूप Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमानदीनद्यौनद्यः
द्वितीयानदीम्नद्यौनदीः
तृतीयानद्यानदीभ्याम्नदीभिः
चतुर्थीनद्यैनदीभ्याम्नदीभ्यः
पंचमीनद्याःनदीभ्याम्नदीभ्यः
षष्ठीनद्याःनद्योःनदीनाम्
सप्तमीनद्याम्नद्योःनदीषु
सम्बोधनहे नदि !हे नद्यौ !हे नद्यः !

नोट-इसी प्रकार दीर्घ (बड़ी) ‘ई’ से अन्त होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों-देवी, भगवती, सरस्वती, श्रीमती, कुमारी (अविवाहिता), गौरी (पार्वती), मही (पृथ्वी), पुत्री (बेटी), पत्नी, राज्ञी (रानी), सखी (सहेली), दासी (सेविका), रजनी (रात्रि), महिषी (रानी, भैंस), सती, वाणी, नंगरी, पुरी, जानकी और पार्वती आदि शब्दों के रूप चलते हैं।

8. ऋकारान्त स्त्रीलिंग मातृ (माता) शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमामातामातरौमातरः
द्वितीयामातरम्मातरौमातृ
तृतीयामात्रामातृभ्याम्मातृभिः
चतुर्थीमात्रेमातृभ्याम्मातृभ्यः
पंचमीमातुःमातृभ्याम्मातृभ्यः
षष्ठीमातुःमात्रोःमातृणाम्
सप्तमीमातरिमात्रोःमातृषु
सम्बोधनहे माता !हे मातरौ !हे मातरः !

इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य सभी स्त्रीलिंग शब्दों-दुहितु (पुत्री) और यातृ (देवरानी) आदि के रूप चलेंगे।

नोट-‘मातृ’ शब्द के द्वितीया विभक्ति के बहुवचन के ‘मातृः’ इस रूप को छोड़कर शेष सभी रूप ‘पितृ’ शब्द के समान ही चलते हैं।

9. अकारान्त नपुंसकलिंग’फल’ (परिणाम शब्द) रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाफलम्फलेफलानि
द्वितीयाफलम्फलेफलानि
तृतीयाफलेनफलाभ्याम्फलैः
चतुर्थीफलायफलाभ्याम्फलेभ्यः
पंचमीफलात्फलाभ्याम्फलेभ्यः
षष्ठीफलस्यफलयोःफलानाम्
सप्तमीफलेफलयोःफलेषु
सम्बोधनहे फलम् !हे फले !हे फलानि !

नोट-इस ‘फल’ शब्द के तृतीया विभक्ति’ के एकवचन से लेकर ‘सम्बोधन विभक्ति’ के एकवचन तक के ये 16 (सोलह) रूप ‘बालक’ शब्द के रूपों के समान ही चलते हैं।

10. उकारान्त नपुंसकलिंग’मधु’ (शहद) शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमामधुमधुनीमधूनि
द्वितीयामधुमधुनीमधूनि
तृतीयामधुनामधुभ्याम्मधुभिः
चतुर्थीमधुनेमधुभ्याम्मधुभ्यः
पंचमीमधुनःमधुभ्याम्मधुभ्यः
षष्ठीमधुनःमधुनोःमधूनाम्
सप्तमीमधुनिमधुनोःमधुषु
सम्बोधनहे मधु/ मधो !हे मधुनी !हे मधूनि !

11. तत्/तद् (वह) पुल्लिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमासःतौते
द्वितीयातम्तौतान्
तृतीयातेनताभ्याम्तैः
चतुर्थीतस्मैताभ्याम्तेभ्यः
पंचमीतस्मात्ताभ्याम्तेभ्यः
षष्ठीतस्यतयोःतेषाम्
सप्तमीतस्मिन्तयोःतेषु

नोट-प्रथमा विभक्ति एकवचन को छोड़कर सभी रूपों का आधार ‘त’ अक्षर है तथा ‘सर्व’ शब्द के समान रूप हैं।

12. तत् / तद् (वह) स्त्रीलिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमासातेताः
द्वितीयाताम्तेताः
तृतीयातयाताभ्याम्ताभिः
चतुर्थीतस्यैताभ्याम्ताभ्यः
पंचमीतस्याःताभ्याम्ताभ्यः
षष्ठीतस्याःतयोःतासाम्
सप्तमीतस्याम्तयोःतासु

13. तत् / तद् (वह) नपुंसकलिंग रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमातत्तेतानि
द्वितीयातत्तेतानि
तृतीयातेनताभ्याम्तैः
चतुर्थीतस्मैताभ्याम्तेभ्यः
पंचमीतस्मात्ताभ्याम्तेभ्यः
षष्ठीतस्यतयोःतेषाम्
सप्तमीतस्मिन्तयोःतेषु

नोट-‘तद्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के ये सभी रूप ‘तद्’ पुल्लिग के समान चलते हैं।

14. इदम् (य) पुल्लिंग रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाअयम्इमौइमे
द्वितीयाइमम्इमौइमान्
तृतीयाअनेनआभ्याम्एभिः
चतुर्थीअस्मैआभ्याम्एभ्यः
पंचमीअस्मात्आभ्याम्एभ्यः
षष्ठीअस्यअनयोःएषाम्
सप्तमीअस्मिन्अनयोःएषु

15. इदम् (यह) स्त्रीलिंग रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाइयम्इमेइमाः
द्वितीयाइमाम्इमेइमाः
तृतीयाअनयाआभ्याम्आभिः
चतुर्थीअस्यैआभ्याम्आभ्यः
पंचमीअस्याःआभ्याम्आभ्यः
षष्ठीअस्याःअनयोःआसाम्
सप्तमीअस्याम्अनयोःआसु

नोट-शेष सभी विभक्तियों में ‘इदम्’ के ये रूप पुल्लिग ‘इदम्’ के समान ही चलेंगे।

16. इदम् (यह) नपुंसकलिंग रूप Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाइदम्इमेइमानि
द्वितीयाइदम्इमेइमानि
तृतीयाअनेनआभ्याम्एभिः
चतुर्थीअस्मैआभ्याम्एभ्यः
पंचमीअस्मात्आभ्याम्एभ्यः
षष्ठीअस्यअनयोःएषाम्
सप्तमीअस्मिन्अनयोःएषु

17. किम् (कौन) पुल्लिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाकःकौके
द्वितीयाकम्कौकान्
तृतीयाकेनकाभ्याम्कैः
चतुर्थीकस्मैकाभ्याम्केभ्यः
पंचमीकस्मात्काभ्याम्केभ्यः
षष्ठीकस्यकयोःकेषाम्
सप्तमीकस्मिन्कयोःकेषु

नोट-‘किम्’ शब्द के रूपों का मूल आधार सभी लिंगों एवं विभक्तियों में ‘क’ होता है तथा इसके रूप ‘सर्व’ शब्द के समान ही चलते हैं।

18. किम् (कौन) स्त्रीलिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाकाकेकाः
द्वितीयाकाम्केकाः
तृतीयाकयाकाभ्याम्काभिः
चतुर्थीकस्यैकाभ्याम्काभ्यः
पंचमीकस्याःकाभ्याम्काभ्यः
षष्ठीकस्याःकयोःकासाम्
सप्तमीकस्याम्कयोःकासु

19. किम् (कौन) नपुंसकलिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाकिम्केकानि
द्वितीयाकिम्केकानि
तृतीयाकेनकाभ्याम्कैः
चतुर्थीकस्मैकाभ्याम्केभ्यः
पंचमीकस्मात्काभ्याम्केभ्यः
षष्ठीकस्यकयोःकेषाम्
सप्तमीकस्मिन्कयोःकेषु

नोट-‘किम्’ शब्द के नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सभी रूप ‘किम्’ पुल्लिंग के समान ही चलते हैं।

20. अस्मद् (मैं) शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाअहम्आवाम्वयम्
द्वितीयामाम्आवाम्अस्मान्
तृतीयामयाआवाभ्याम्अस्माभिः
चतुर्थीमह्यम्आवाभ्याम्अस्मभ्यम्
पंचमीमत्आवाभ्याम्अस्मत्
षष्ठीममआवयोःअस्माकम्
सप्तमीमयिआवयोःअस्मासु

नोट- अस्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते कानि हैं।

21. युष्मद् (तुम) शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमात्वम्युवाम्यूयम्
द्वितीयात्वाम्युवाम्युष्मान्
तृतीयात्वाययुवाभ्याम्युस्माभिः
चतुर्थीतुभ्यंयुवाभ्याम्युष्मभ्यम्
पंचमीत्वत्युवाभ्याम्युष्मत्
षष्ठीतवयुवयोःयुष्माकम्
सप्तमीत्वयियुवयोःयुष्मासु

नोट-‘युष्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते

22. भवत् (आप-प्रथम पुरुष) पुल्लिंग रूप Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाभवान्भवन्तौभवन्तः
द्वितीयाभवन्तम्भवन्तौभवतः
तृतीयाभवताभवद्भ्याम्भवदभिः
चतुर्थीभवतेभवद्भ्याम्भवद्भ्यः
पंचमीभवतःभवद्भ्याम्भवद्भ्यः
षष्ठीभवतःभवतोःभवताम्
सप्तमीभवतिःभवतोःभवत्सु

(नोट-सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता है।) ‘भवत्’ के साथ सदैव प्रथम पुरुष की क्रिया प्रयोग की जाती है।

23. भवत् (आप) स्त्रीलिंग रूप

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाभवतीभवत्यौभवत्सः
द्वितीयाभवतीम्भवत्यौभवतीः
तृतीयाभवत्याभवतीभ्याम्भवतीभिः
चतुर्थीभवत्यैभवतीभ्याम्भवतीभ्यः
पंचमीभवत्याःभवतीभ्याम्भवतीभ्यः
षष्ठीभवत्याःभवतोःभवतीभ्यः
सप्तमीभवतिभवतोःभवत्सु

नोट- भवत्+ई =भवती के सम्पूर्ण रूप ‘नदी’ (दीर्घ ईकारान्त स्त्रीलिंग) के समान चलते हैं।

24. सर्व (सब) पुल्लिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमासर्व:सर्वौसर्वे
द्वितीयासर्वम्सर्वौसर्वान्
तृतीयासर्वेणसर्वाभ्याम्सर्वै:
चतुर्थीसर्वस्मैसर्वाभ्याम्सर्वेभ्य:
पंचमीसर्वस्मात्सर्वाभ्याम्सर्वेभ्य:
षष्ठीसर्वस्यसर्वयो:सर्वेषाम्
सप्तमीसर्वस्मिन्सर्वयो:सर्वेषु

25. सर्व (सब) स्त्रीलिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमासर्वासर्वेसर्वा:
द्वितीयासर्वाम्सर्वेसर्वा:
तृतीयासर्वयासर्वाभ्याम्सर्वाभि:
चतुर्थीसर्वस्यैसर्वाभ्याम्सर्वाभ्य:
पंचमीसर्वस्या:सर्वाभ्याम्सर्वाभ्य:
षष्ठीसर्वस्या:सर्वयो:सर्वासाम्
सप्तमीसर्वस्याम्सर्वयो:सर्वासु

26. सर्व (सब) नपुंसकलिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमासर्वम्सर्वेसर्वाणि
द्वितीयासर्वम्सर्वेसर्वाणि
तृतीयासर्वेणसर्वाभ्याम्सर्वै:
चतुर्थीसर्वस्मैसर्वाभ्याम्सर्वेभ्य:
पंचमीसर्वस्मात्सर्वाभ्याम्सर्वेभ्य:
षष्ठीसर्वस्यसर्वयो:सर्वेषाम्
सप्तमीसर्वस्मिन्सर्वयो:सर्वेषु

नोट-शेष विभक्तियों के रूप पुल्लिंग ‘सर्व’ की तरह चलेंगे।

27. यत् (जो) पुल्लिग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमायःयौये
द्वितीयायम्यौयान्
तृतीयायेनयाभ्याम्यैः
चतुर्थीयस्मैयाभ्याम्येभ्यः
पंचमीयस्मात्याभ्याम्येभ्यः
षष्ठीयस्यययोःयेषाम्
सप्तमीयस्मिन्ययोःयेषु

नोट-इस ‘यत्’ शब्द का सभी लिंगों में, सभी विभक्तियों के रूप में ‘य’ आधार रहेगा तथा इसके ‘सर्व’ के समान ही रूप चलेंगे।

28. यत् (जो) स्त्रीलिंग शब्द रूप Sanskrit Vyakaran Shabd Roop PDF

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमायायेयाः
द्वितीयायाम्येयाः
तृतीयाययायाभ्याम्याभिः
चतुर्थीयस्यैयाभ्याम्याभ्यः
पंचमीयस्याःयाभ्याम्याभ्यः
षष्ठीयस्याःययोःयासाम्
सप्तमीयस्याम्ययोःयासु

29. यत् (जो) नपुंसकलिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमायत्येयानि
द्वितीयायत्येयानि
तृतीयायेनयाभ्याम्यैः
चतुर्थीयस्मैयाभ्याम्येभ्यः
पंचमीयस्मात्याभ्याम्येभ्यः
षष्ठीयस्यययोःयेषाम्
सप्तमीयस्मिन्ययोःयेषु

नोट-‘यत्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सम्पूर्ण रूप ‘यत्’ पुल्लिंग के समान ही चलेंगे।

30. एतत्’ (यह) पुल्लिंग शब्द रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाएषःएतौएते
द्वितीयाएतम्/एनम्एतौ/एनौएतान्/एनान्
तृतीयाएतेन/एनेनएताभ्याम्एतैः
चतुर्थीएतस्मैएताभ्याम्एतेभ्यः
पंचमीएतस्मात्एताभ्याम्एतेभ्यः
षष्ठीएतस्यएतयोः/एनयोःएतेषाम्
सप्तमीएतस्मिन्एतयोः/एनयोःएतेषु

नोट- एतत् ‘ के सभी रूप ‘तत्’ शब्द में पूर्व में ‘ए’ जोड़कर ‘तत्’ के रूपों के समान ही चलते हैं।

31. एतत्’ (यह) शब्द स्त्रीलिंग रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाएषाएतेएताः
द्वितीयाएताम्एतेएताः
तृतीयाएतयाएताभ्याम्एताभिः
चतुर्थीएतस्यैएताभ्याम्एताभ्यः
पंचमीएतस्याःएताभ्याम्एताभ्यः
षष्ठीएतस्याःएतयोःएतासाम्
सप्तमीएतस्याम्एतयोःएतासु

32. ‘एतत्’ (यह) शब्द नपुंसकलिंग रूप 

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाएतत्एतेएतानि
द्वितीयाएतत्एतेएतानि
तृतीयाएतेन/एनेनएताभ्याम्एतैः
चतुर्थीएतस्मैएताभ्याम्एतेभ्यः
पंचमीएतस्मात्एताभ्याम्एतेभ्यः
षष्ठीएतस्यएतयोः/एनयोःएतेषाम्
सप्तमीएतस्मिन्एतयोः/एनयोःएतेषु

नोट-शेष सभी विभक्तियों में रूप पुल्लिंग ‘एतत्’ की भाँति ही चलेंगे।


क्र.सं.विषय-सूचीDownload PDF
1वर्ण विचार व उच्चारण स्थानClick Here
2संधि – विच्छेदClick Here
3समासClick Here
4कारक एवं विभक्तिClick Here
5प्रत्ययClick Here
6उपसर्गClick Here
7शब्द रूपClick Here
8धातु रूपClick Here
9सर्वनामClick Here
10विशेषण – विशेष्यClick Here
11संख्या ज्ञानम्Click Here
12अव्ययClick Here
13लकारClick Here
14माहेश्वर सूत्रClick Here
15समय ज्ञानम्Click Here
16विलोम शब्दClick Here
17संस्कृत सूक्तयClick Here
18छन्दClick Here
19वाच्यClick Here
20अशुद्धि संषोधनClick Here
21संस्कृत अनुवादClick Here
22संस्कृत शिक्षण विधियांClick Here
23Download Full PDFClick Here

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