Hindi Grammar Varn for REET Main Exam
हिन्दी व्याकरण वर्णों के भेद व उच्चारण स्थान (Hindi Grammar Varn for REET Main Exam) : राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली रीट शिक्षक भर्ती मुख्य परीक्षा मे लेवल 1 लेवल 2 दोनों लेवल मे हिन्दी व्याकरण से संबधित प्रश्न पूछे जाएंगे । हम यहाँ पर आज हिन्दी व्याकरण के टॉपिक वर्णमाला ज्ञान का अध्ययन करेंगे । जिसमे स्वर व्यंजन, वर्णों के भेद, उच्चारण स्थान, आदि का विस्तार से अध्ययन करेंगे ।
हिन्दी व्याकरण वर्ण विचार ( Hindi Vyakaran Varna Vichar)
पिछले अध्याय मे हमने हिन्दी वर्णमाला स्वर व्यंजन के प्रकार, संख्या, उत्पति इत्यादि के बारे मे अध्ययन किया है । आज के टॉपिक मे वर्णों के भेद व उच्चारण स्थान का अध्ययन करते है ।
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प्रयत्न / श्वास / समय के आधार पर वर्णों के भेद
अल्पप्राण – जिन वर्गों के उच्चारण में कम हवा (प्राण या श्वास) बाहर निकलती है, वे ‘अल्पप्राण’ कहलाते हैं। प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पाँचवाँ व्यंजन, डु, य, र, ल, व तथा सभी स्वर अल्पप्राण हैं।
महाप्राण – जिन वर्गों के उच्चारण में अधिक हवा या श्वास बाहर निकलती है, वे महाप्राण कहलाते हैं। प्रत्येक वर्ग का दूसरा, चौथा व्यंजन, ढ़, श, ष, स, ह तथा विसर्ग महाप्राण हैं।
1. अल्पप्राण – जिन वर्णों का उच्चारण करने में कम समय लगे अल्पप्राण कहलाते हैं । वर्ग का पहला, तीसरा, पांचवा वर्ण (क से म तक), य र ल व तथा सभी स्वर अल्पप्राण है ।
क से म तक | 15 वर्ण ( 1,3,5 वर्ण) |
---|---|
य, र, ल, व | 4 |
स्वर | 11 |
कुल | 30 |
2. महाप्राण – जिन वर्णों का उच्चारण करने में अधिक समय लगे महाप्राण कहलाते हैं । वर्ग का दूसरा व चौथा वर्ण (क से म तक) तथा श, ष, स, ह वर्ण आते हैं ।
क से म तक | 10 वर्ण ( 2,4 वर्ण) |
---|---|
श, ष, स, ह | 4 |
कुल | 14 |
- नोट व्यंजनों को स्वरों के बिना लिखा तो जा सकता है परंतु बोला या उच्चारण नहीं किया जा सकता ।
उच्चारण स्थान के आधार पर वर्णों के भेद
- कण्ठ्य – क, ख, ग, घ, अ, आ, : विसर्ग, ह
- तालव्य – च, छ, ज, झ, इ, ई, य, श
- मूर्धन्य – ट, ठ, ड, ढ, ऋ, र, ष
- दन्तय – त, थ, द, ध, लृ, ल, स
- ओष्ठ्य – प, फ, ब, भ, उ, ऊ
- नासिका – ङ, ञ, ण, न, म, अनुस्वार
- दन्तोष्ठ – व
- कण्ठ्य तालव्य – ए, ऐ
- कण्ठ्य ओष्ठ्य – ओ, औ
- वत्स्र्य – ज, न, र, ल, स
स्वर तंत्रिकाओं में कंपन के आधार पर वर्णों के भेद
घोष – जिन वर्गों के उच्चारण के समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु स्वर-तंत्रियों से टकराकर (नाद) घोष उत्पन्न करती है, वे घोष वर्ण कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ व्यंजन (ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म), अंत:स्थ व्यंजन (य, र, ल, व), ‘ह’ एवं समस्त स्वरों अर्थात् अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ का ‘घोष’ प्रयत्न है।
अघोष – जिन वर्गों के उच्चारण में फेफड़ों से निकलने वाली वायु स्वर-तंत्रियों से बिना टकराये आसानी से निकल जाती है, वे अघोष वर्ण कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-प्रत्येक वर्ग के पहले, दूसरे व्यंजनों अर्थात् क, ख, च छ, ट ठ, त थ, प फ और श ष स का ‘अघोष’ प्रयत्न है।
1. घोष / सघोष – जिन वर्णों का उच्चारण करने से स्वर तंत्रिकाओं में कंपन हो जाए उन्हें घोष वर्ण कहते हैं । वर्ग (क से म तक) का तीसरा, चौथा, पांचवा वर्ण, य, र, ल, व, ह तथा सभी स्वर ।
क से म तक | 15 वर्ण ( 3,4,5 वर्ण) |
---|---|
य, र, ल, व, ह | 5 |
स्वर | 11 |
कुल | 31 |
2. अघोष वर्ण – जिन वर्णों का उच्चारण करने से स्वर तंत्रिकाओं में कंपन या गूंज नहीं होती है उन्हें अघोष वर्ण कहते हैं । वर्ग का पहला, दूसरा वर्ण व श, ष, स वर्ण आते हैं ।
क से म तक | 10 वर्ण ( 2,4 वर्ण) |
---|---|
श, ष, स, | 3 |
कुल | 13 |
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