Prithvi Ki Gatiya for REET SST
Prithvi Ki Gatiya for REET SST ( पृथ्वी की गतियाँ ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे सामाजिक अध्ययन (Social Studies ) के पृथ्वी की गतियाँ टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट सभी भर्ती परीक्षा व्याख्याता (School Lecturer), द्वितीय श्रेणी अध्यापक (2nd Grade Teacher), REET 2021, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
Prithvi Ki Gatiya for REET SST : पृथ्वी की गतियाँ :
- पलायन वेग:- पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए 2 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति की आवश्यकता होती है। जिसे पलायन वेग या एस्केप स्पीड कहा जाता है।
- पृथ्वी का भूमध्यवर्ती व्यास – 6 किमी
- पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास – 12714 किमी
- भूमध्यवर्ती परिधि – लगभग 40075 किमी
- पृथ्वी की ध्रुवीय परिधि – लगभग 40008 किमी
- अपने अक्ष पर 5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है ।
पृथ्वी की दो गतियाँ होती है ।
- घूर्णन या परिभ्रमण या दैनिक गति
- परिक्रमण या वार्षिक गति
घूर्णन या परिभ्रमण या दैनिक गति : पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना (घूर्णन) पृथ्वी का परिभ्रमण (Rotation) कहलाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 घंटे, 56 मिनट व 4.09 सेकंड मे एक चक्कर पूरा करती है ।
पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण-
- क्रमशः दिन और रात होते हैं।
- सूर्य चन्द्रमा आदि आकाशीय पिण्ड पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की ओर गति करते हुए। प्रतीत होते हैं।
परिक्रमण या वार्षिक गति : पृथ्वी द्वारा अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करना परिक्रमण (Revolution) कहलाता है। पृथ्वी अपनी कक्षा मे लगभग 365 दिन 6 घंटे मे सूर्य की एक परिक्रमा करती है ।
- पृथ्वी पर 1 वर्ष में मार्च माह से सितंबर माह के बीच सूर्य की सीधी किरणें उत्तरी उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र अर्थात विषुवत रेखा और कर्क रेखा के मध्य गिरती है तो उत्तरी गोलार्ध में गर्मी दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी ।
- पुनः सितंबर माह से मार्च माह के बीच सूर्य की सीधी किरणें दक्षिणी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र यानी विषुवत रेखा और मकर रेखा के मध्य गिरती है उत्तरी गोलार्ध में सर्दी और दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी होती है।
- उत्तरी विषुव या बसंत विषुव : 21 मार्च – सूर्य की सीधी किरणें विषुवत रेखा पर पड़ती है इसका नतीजा होता है दिन रात की अवधि बराबर होती है इससे हम उत्तरी विषुव या बसंत विषुव कहते हैं।
- दक्षिणी विषुव : 21 जून के बाद किरणें वापस विषुवत की तरफ बढ़ती है और 23 सितंबर को सीधी किरणें विषुवत या भूमध्य रेखा पर पड़ती है दिन रात की अवधि बराबर होती है । इसे दक्षिणी विषुव कहते हैं ।
- शीत अयनांत या मकर संक्रांति : 23 सितंबर के बाद सूर्य किरणें विषुवत रेखा से मकर रेखा की तरफ बढ़ती है। 22 दिसंबर को सूर्य की सीधी किरणे मकर रेखा पर गिरती है। इसे हम शीत अयनांत या मकर संक्रांति कहते है।
- उत्तर अयनांत : जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है तब उत्तरी ध्रुव पर 6 महीने का दिन होता है। इस स्थिति को सूर्य का उत्तरायण होना या उत्तर अयनांत कहते हैं। 21 जून सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर पड़ती है । इस दिन उत्तरी गोलार्ध में दिन की अवधि लंबी होती है और दक्षिणी गोलार्ध में रात की अवधि लंबी होती है ।
- दक्षिण अयनांत : जब दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है तब दक्षिणी ध्रुव पर 6 महीने का दिन होता है। इस स्थिति को सूर्य का दक्षिणायन होना या दक्षिण अयनांत कहते हैं। 22 दिसंबर को सूर्य की किरणें सीधी मकर रेखा पर पड़ती हैं। इस कारण दक्षिणी गोलार्ध दिन की अवधि लंबी और उत्तरी गोलार्ध में रात की अवधि लंबी होती है ।
- प्रकाश वृत्त : पृथ्वी सूर्य से प्रकाश एवं ऊष्मा प्राप्त करती है। पृथ्वी का आकार लगभग गोल है। इसलिए एक समय में इसके आधे भाग में ही सूर्य का प्रकाश पड़ता है। सूर्य की ओर वाले भाग में दिन होता है तथा सूर्य के विपरीत भाग में रात होती है। पृथ्वी (ग्लोब) पर जो वृत्त दिन तथा रात को विभाजित करता है। उसे प्रकाश वृत्त या प्रदीप्ति वृत्त (Circle of illumination) कहते हैं।
पृथ्वी के मुख्यतः तीन ताप कटिबंध हैं-
- उष्ण कटिबंध
- शीतोष्ण कटिबंध
- शीत कटिबंध
उष्ण कटिबन्ध : कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच सभी अक्षांशों पर मध्याह्न का सूर्य वर्ष में कम से कम एक बार ठीक सिर के ऊपर होता है। इसलिए यह सूर्य से सर्वाधिक सूर्याताप प्राप्त करता है। अतः इसे उष्ण कटिबन्ध कहते हैं।
शीतोष्ण कटिबन्ध : कर्क रेखा के उत्तर और मकर रेखा के दक्षिण में मध्याह्न का सूर्य कभी भी सिर के ठीक ऊपर नहीं होता है। ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्य की किरणों का तिरछापन बढ़ता जाता है। जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा और आर्कटिक वृत्त एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा और अंटार्कटिक वृत्त के बीच मध्यम तापमान रहता है। इसीलिए इस क्षेत्र को शीतोष्ण कटिबन्ध कहते हैं।
शीत कटिबन्ध : उत्तरी गोलार्द्ध में आर्कटिक वृत्त के उत्तर और दक्षिणी गोलार्द्ध में अंटार्कटिक वृत्त के दक्षिण के क्षेत्रों में बहुत ठंड होती है। यहाँ सूर्य कभी भी क्षितिज से ज्यादा ऊपर नहीं दिखाई देता। इस क्षेत्र को शीत कटिबन्ध कहते हैं।
उपसौर : जब सूर्य और पृथ्वी के बीच सबसे कम दूरी (147 मिलियन किमी) होती है तो ऐसी स्थिति को उपसौर कहा जाता है।
अपसौर : जब पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दूरी ( 152 मिलियन किमी ) पर होनी है इसे अपसौर कहा जाता है।
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