Akshansh Deshantar Latitude Longitude :अक्षांश और देशान्तर रेखा
Akshansh Deshantar Latitude Longitude ( अक्षांश और देशान्तर रेखा ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे सामाजिक अध्ययन (Social Studies ) के अक्षांश और देशान्तर रेखा टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट सभी भर्ती परीक्षा व्याख्याता (School Lecturer), द्वितीय श्रेणी अध्यापक (2nd Grade Teacher), REET 2021, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
Akshansh Deshantar Latitude Longitude ( अक्षांश और देशान्तर रेखा ) :
ग्लोब : पृथ्वी का एक लघु प्रतिरूप है ग्लोब स्थिर नहीं होते हैं। इनको कुम्हार की चोक या लट्टू के समान घुमाया जा सकता है। हमारी पृथ्वी भी इसी प्रकार अपने अक्ष (धुरी) पर घूमती है। ग्लोब पर महाद्वीपों, महासागरों और देशों को उनके सही आकार के अनुसार दिखाया जाता है।
- पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है ।
- पृथ्वी का अक्ष अपने परिक्रमण तल से 5 डिग्री का कोण बनाती है ।
Akshansh Deshantar Latitude Longitude : अक्षांश रेख
- दोनों ध्रुवों के बीच ग्लोब पर खींची गई काल्पनिक रेखाओं को अक्षांश रेखा कहते हैं।
- अक्षांश रेखाएं पूर्व से पश्चिम की तरफ होती हैं ।
- अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 180 होती है।
- भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा पृथ्वी को उत्तर व दक्षिण दो भागों में विभाजित करती है।
- विषुवत रेखा के उत्तर में स्थित भाग को उत्तरी गोलार्ध व दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं।
- समान अक्षांशों को मिलाने वाली रेखा अक्षांश रेखा कहलाती है ।
- विषुवत रेखा से उत्तर दक्षिण में जाने पर रेखाओं की लंबाई में कमी आती है ।
प्रमुख अक्षांश वृत्त
- विषुवत रेखा को 0 डिग्री अक्षांश कहते हैं ।
- 5 डिग्री उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा कहते हैं 23.5 डिग्री दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं ।
- कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच का क्षेत्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहलाता है ।
- कर्क रेखा व आर्कटिक रेखा के बीच का क्षेत्र उत्तरी शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहलाता है ।
- मकर रेखा व अंटार्कटिका रेखा के बीच का क्षेत्र दक्षिणी शीतोष्ण कटिबंधीय कहलाता है ।
- अंटार्कटिका से दक्षिणी ध्रुव शीत कटिबंध व आर्कटिक वृत से उत्तरी ध्रुव तक शीत कटिबंध कहलाता है।
Akshansh Deshantar Latitude Longitude : देशांतर रेखाएं
- दोनों ध्रुवों को मिलाती हुई खींची जाने वाली काल्पनिक रेखा को देशान्तर रेखा कहते हैं।
- देशांतर को प्रधान मध्यान्ह रेखा भी कहते हैं।
- देशांतर की कुल संख्या 360 होती है ।
- समान देशांतर को मिलाने वाली रेखा देशांतर रेखा कहलाती है।
- 0 डिग्री देशांतर रेखा को मानक कया ग्रीनविच रेखा भी कहा जाता है जो इंग्लैंड से गुजरती है ।
- ग्रीनविच रेखा के पश्चिम में 180 देशांतर में व पूर्व में 180 देशांतर रेखाएं होती है ।
भारतीय मानक समय
- पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में 360 डिग्री घूमती है ।
- 1 घंटे में 15 डिग्री घूमती है।
- 1 डिग्री घूमने के लिए 4 मिनट का समय लगता है ।
- एक देशांतर से दूसरे देशांतर जाने के लिए 4 मिनट का समय लगेगा।
- दो देशांतर के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है ।
- स्थानीय समय किसी स्थान का सूर्य की स्थिति से ज्ञात किया गया उस स्थान का स्थानीय समय होता है ।
- हमारे देश का मानक समय 5 डिग्री पूर्वी देशांतर से निर्धारित है । चूंकि देशांतर रेखा ग्रीनविच रेखा से 82.5 डिग्री पूर्व दिशा में है ।
- 1 डिग्री देशांतर बराबर 4 मिनट । पूर्व दिशा में आने पर बढ़ेगा। 5 डिग्री पूर्वी देशांतर तक पहुंचने में 330 मिनट का समय लगेगा ।
- इस प्रकार ग्रीनविच रेखा से भारत के स्थानीय समय में 30 घण्टे अंतराल होता है ।
- भारतीय मानक समय ग्रीनविच मानक समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे रहता है।
- एक से अधिक मानक समय वाले शहर है रूस अमेरिका कनाडा ऑस्ट्रेलिया
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा :
- 180° पूर्वी देशान्तर तथा 180° पश्चिमी देशान्तर की रेखा एक ही होती है। यही अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहलाती है।
- इस रेखा से नई तिथि की शुरुआत मानी जाती है।
- इस रेखा के पूर्व व पश्चिम में जाने पर तिथि कम व ज्यादा होती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पूर्व से पश्चिम की ओर पार करने पर एक दिन कम कर दिया जाता है
- और पश्चिम से पूर्व जाने पर एक दिन जोड़ दिया जाता है।
- शून्य से 180 डिग्री पूर्वी देशांतर में जाने पर समय बढ़ेगा
- व 0 डिग्री से 180 डिग्री पश्चिमी देशांतर जाने पर समय घटेगा।
- अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को आर्कटिक महासागर में 75° उत्तरी अक्षांश पर महाद्वीप से बचाने के लिए पूर्व की ओर मोड़कर बेरिंग जल संधि से निकाला गया है। बेरिंग समुद्र में यह पश्चिम की ओर मुड़ती है। फिजी द्वीप व न्यूजीलैण्ड को दूर रखने के लिए इसे दक्षिणी प्रशान्त महासागर में पूर्व की ओर मोड़ा गया है।
Akshansh Deshantar Latitude Longitude : पृथ्वी के मुख्यतः तीन ताप कटिबंध हैं-
- उष्ण कटिबंध
- शीतोष्ण कटिबंध
- शीत कटिबंध
उष्ण कटिबन्ध : कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच सभी अक्षांशों पर मध्याह्न का सूर्य वर्ष में कम से कम एक बार ठीक सिर के ऊपर होता है। इसलिए यह सूर्य से सर्वाधिक सूर्याताप प्राप्त करता है। अतः इसे उष्ण कटिबन्ध कहते हैं।
शीतोष्ण कटिबन्ध : कर्क रेखा के उत्तर और मकर रेखा के दक्षिण में मध्याह्न का सूर्य कभी भी सिर के ठीक ऊपर नहीं होता है। ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्य की किरणों का तिरछापन बढ़ता जाता है। जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा और आर्कटिक वृत्त एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा और अंटार्कटिक वृत्त के बीच मध्यम तापमान रहता है। इसीलिए इस क्षेत्र को शीतोष्ण कटिबन्ध कहते हैं।
शीत कटिबन्ध : उत्तरी गोलार्द्ध में आर्कटिक वृत्त के उत्तर और दक्षिणी गोलार्द्ध में अंटार्कटिक वृत्त के दक्षिण के क्षेत्रों में बहुत ठंड होती है। यहाँ सूर्य कभी भी क्षितिज से ज्यादा ऊपर नहीं दिखाई देता। इस क्षेत्र को शीत कटिबन्ध कहते हैं।
(क) उत्तरी ध्रुव, दक्षिणी ध्रुव – पृथ्बी जिस अक्ष पर घूमती है उसके ऊपरी सिरे को उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी सिरे को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।
(ख) कर्क रेखा, मकर रेखा – उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा और दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं।
(ग) 0° अक्षांश, 0° देशान्तर – 0° अक्षांश को भूमध्य रेखा और 0° देशान्तरं को ग्रीनविच । या प्रधान मध्याह्न रेखा कहते हैं।”
(घ) आर्कटिक वृत्त, अंटार्कटिक वृत्त – उत्तरी अक्षांश को आर्कटिक वृत्त और दक्षिणी अक्षांश को अंटार्कटिक वृत्त कहते हैं।
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