Mool Adhikar मूल अधिकार (Fundamental Rights)
Fundamental Rights मूल अधिकार ( Mool Adhikar) : भारतीय संविधान के भाग 3 अनुच्छेद 12 से 35 मे मौलिक अधिकारों का प्रावधान किया गया । संविधान के भाग 3 को भारत का मेग्नाकार्टा कहते है । भारत मे सबसे पहले मूल अधिकारों की मांग 1895 मे बाल गंगाधर तिलक ने की । 1928 मे मोतीलाल नेहरू द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव “नेहरू रिपोर्ट” मे भारत के नागरिकों को मूल अधिकार देने की मांग की ।
भारत के मूल संविधान मे भारतीय नागरिकों को 7 मूल अधिकार प्रदान किए गए । 44वें संविधान संशोधन 1978 मे सम्पति के अधिकार को हटा दिया गया और अनुच्छेद 300 क के तहत इसे विधिक अधिकार बना दिया । वर्तमान मे भारतीय नागरिकों को 6 मूल अधिकार प्राप्त है ।
Mool Adhikar (Fundamental Rights) : भारत के संविधान मे मूल अधिकारों से संबंधित अनुच्छेद
- संविधान के अनुच्छेद 12 मे राज्य की परिभाषा
- संविधान के अनुच्छेद 13 के अनुसार मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ ।
1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक)
- संविधान के अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समानता ।
- संविधान के अनुच्छेद 15 – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध ।
- अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन के विषय मे अवसर की समानता ।
- अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत ।
- संविधान के अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक)
- संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार वाक स्वतंत्रता का अधिकार ।
- (क) वाक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ।
- (ख) शांतिपूर्ण और निरायुद्ध सम्मेलन।
- (ग) संगम या संघ या सहकारी सोसायटी बनाने का ।
- (घ) भारत के राज्य क्षेत्र मे घूमने की स्वतंत्रता ।
- (ड़) भारत के किसी भी भाग मे निवास करने की स्वतंत्रता ।
- (छ) कोई वृति व्यापार, कारोबार करने की स्वतंत्रता ।
- संविधान के अनुच्छेद 20 के अनुसार अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबंध मे संरक्षण ।
- क. एक व्यक्ति को एक अपराध के लिए एक बार से अधिक दंडित नहीं किया जा सकता ।
- ख. किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं करेगा ।
- संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण । किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जा सकेगा ।
- अनुच्छेद 21 (क) के अनुसार शिक्षा का अधिकार ।
- 86वें संविधान संशोधन 2002 के द्वारा जोड़ा गया ।
- राज्य 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बालकों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का उपबंध करेगा ।
- संविधान के अनुच्छेद 22 के अनुसार कुछ दशाओ मे गिरफ़्तारी और निरोध का संरक्षण ।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 व 24)
- संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव के दुर्व्यापार और बाल श्रम का निषेध ।
- संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार कारखानों आदि मे बालकों के नियोजन का प्रतिषेध । 14 वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान मे काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।
4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक)
- संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार अंत:करण की और धर्म के अबाध रूप से मानने आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता । नोट – कृपाण धारण करना और लेकर चलना सिख धर्म के मानने का यंग समझा जाएगा ।
- संविधान के अनुच्छेद 26 के अनुसार धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
- क- धार्मिक प्रयोजनों के लिए संस्थाओ की स्थापना और पोषण
- ख- अपने धर्म विषयक कार्यों का प्रबंध
- ग- जंगम और स्थावर सम्पति के अर्जन और स्वामित्व
- घ- ऐसी सम्पति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का अधिकार होगा ।
- संविधान के अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करो के संदाय के बारे मे स्वतंत्रता ।
- संविधान के अनुच्छेद 28 के अनुसार कुछ शिक्षण संस्थाओ मे धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना मे उपस्थित होने की स्वतंत्रता । राज्य निधि से पूर्णत: पोषित शिक्षण संस्था मे कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी ।
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 व 30)
- संविधान के अनुच्छेद 29 के अनुसार अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण ।
- क- भारत के किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग को जिसकी अपनी विशेष भाषा लिपि या संस्कृति है उसे बनाए रखने का अधिकार होगा ।
- ख- राज्य पोषित या राज्य निधि से सहायता प्राप्त किसी शिक्षण संस्था मे प्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमे से किसी के आधार पर वंचित नहीं किया जाएगा ।
- संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार शिक्षा संस्थाओ की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार ।
- क- धर्म या भाषा के आधार पर सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रूचि की शिक्षा संस्थाओ की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा ।
- ख- शिक्षा संस्थाओ को सहायता देने मे राज्य किसी शिक्षण संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंध मे है ।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
- संविधान के अनुच्छेद 32 के अनुसार इस भाग द्वारा प्रदत अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय को ऐसे निदेश या आदेश या रिट जिनके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेक्षण रिट निकालने की शक्ति होगी ।
- बंदी प्रत्यक्षीकरण ( Habeas Corpus) – शारीरिक उपस्थिति
- परमादेश (Mandamus) – न्यायालय द्वारा किसी शासक या सार्वजनिक अधिकारी को निर्धारित कर्तव्यों का पालन करने के लिए दिया गया आदेश ।
- प्रतिषेध (Prohibition) – किसी न्यायालय या अधिकरण क्षेत्र मे चल रहे विचार को रोकना ।
- उत्प्रेक्षण लेख (Certiorari) – किसी न्यायालय मे चल रहे विचाराधीन प्रकरण को उच्चतम न्यायालय मे भेजना ।
- अधिकार पृच्छा (Quo-Warranto) – किस अधिकार से पूछने का अधिकार ।
Mool Adhikar मूल अधिकार : महत्त्वपूर्ण बिन्दु
- मूल अधिकार की व्यवस्था अमेरिका के संविधान से ग्रहण की गई ।
- मूल अधिकार राष्ट्रपति के आदेश से निलंबित किए जा सकते है ।
- अनुच्छेद 20 व 21 मे वर्णित मूल अधिकारों को छोड़कर सभी अधिकार राष्ट्रीय आपातकाल के समय निलंबित हो जाते है ।
- अनुच्छेद 19 मे वर्णित मूल अधिकार राष्ट्रीय आपातकाल मे स्वत: निलंबित हो जाते है ।
- न्यायालयों को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानूनों को अवैध करने की शक्ति प्राप्त है ।
- सर्वोच्च न्यायालय को संविधान मे मौलिक अधिकारों का रक्षक एवं प्रतिभू का विशेष दर्ज प्रदान है ।
मूल अधिकार (Fundamental Rights) : मूल अधिकारों (Mool Adhikar) से संबंधित महत्त्वपूर्ण वाद और संशोधन
- शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ – 1953
- गोलकनाथ बनाम पंजाब सरकार – 1967 – संसद मूल अधिकारों मे संशोधन नहीं कर सकती ।
- 24 वें संविधान संशोधन 1971 के अनुसार संसद मूल अधिकारों मे संशोधन कर सकती है ।
- केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार – 1973 – गोलकनाथ बनाम पंजाब सरकार के निर्णय को निरस्त कर दिया । संसद संविधान मे संविधान मे संशोधन तो कर सकती है किन्तु संविधान का आधारभूत ढांचा नष्ट नहीं किया जा सकता । इस वाद मे संविधान के आधारभूत ढांचा को परिभाषित किया गया ।
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ – 1980 – न्यायालय किसी भी संशोधन का पुनर्विलोकन कर सकता है ।
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