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Constitution of India : भारतीय संविधान

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Constitution of India : भारतीय संविधान

भारतीय संविधान (Constitution of India) का निर्माण : भारत में संविधान निर्माण का का पहला प्रयास बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में स्वराज विधेयक के माध्यम से किया। तिलक के पश्चात 1922 में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने कहा कि ‘भारत का संविधान भारतीयों की इच्छा से होनी चाहिए’। 1924 में मोतीलाल नेहरू ने सरकार के समक्ष संविधान निर्माण का मांग रखा लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया। 1928 में संविधान निर्माण हेतु नेहरू रिपोर्ट तैयार किया गया। इस रिपोर्ट को भी अस्वीकार कर दिया गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1940 में अगस्त प्रस्ताव की घोषणा की गई इसमें कहा गया कि भारत का संविधान भारतीय स्वयं तैयार करेंगे। जबकि क्रिप्स मिशन योजना में कहा गया कि “भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा होगा”। क्रिप्स योजना के बाद लॉर्ड वेवल ने घोषणा किया कि संविधान निर्माण की प्रक्रिया यथाशीघ्र प्रारंभ की जाएगी।

Indian Constitution : संविधान सभा का गठन

संविधान सभा : 23 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन दिल्ली आई कैबिनेट मिशन में 3 सदस्य थे। जिसका अध्यक्ष पैथिक लोरेंस था अन्य सदस्यों में एबी एलेग्जेंडर और स्टेफोर्ड क्रिप्स थे। 22 जुलाई 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान निर्माण करने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 थी जिनमें 293 ब्रिटिश प्रांत के, 13 देशी रियासत के और 4 कमिश्नरी प्रांत के थे। जुलाई 1946 में अप्रत्यक्ष रूप से 10 लाख की जनसंख्या पर एक सदस्य निर्वाचन की व्यवस्था की गई परंतु व्यस्क मताधिकार का प्रयोग नहीं किया गया। सर्वप्रथम इन 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस को 208 स्थान, मुस्लिम लीग को 73 और अन्य पार्टी को 15 स्थान मिला। जिनमें स्वतंत्र पार्टी को 8 और अन्य को एक-एक स्थान मिला। देसी रियासत से प्रतिनिधित्व को मनोनीत किया गया।

मुस्लिम लीग ने अपेक्षित स्थान ना पाकर 29 जुलाई को कैबिनेट मिशन योजना को अस्वीकार कर 16 अगस्त 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाई गई। विषम परिस्थिति पाकर नेहरू के नेतृत्व में 2 सितंबर 1946 को अंतरिम या अस्थाई सरकार की स्थापना की गई। अंतरिम सरकार में नेहरू सहित मंत्रियों की संख्या 12 थी, लेकिन प्रावधान 14 का था। 12 मंत्रियों में से पांच स्वर्ण हिंदू, तीन मुस्लिम, एक सिख, एक इसाई, एक पारसी और एक अनुसूचित जाति का हिंदू था।

The Constitution Of India Pdf : भारत का पहला मंत्रिमण्डल

कैबिनेट मिशन (1945 ई) के प्रस्ताव पर गठित अंतरिम मंत्रिमंडल (2 सितंबर 1946)
जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री
बल्लभ भाई पटेल गृह तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री
बलदेव सिंह रक्षा मंत्री
डॉ राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि मंत्री
जगजीवन राम श्रम मंत्री
आसफ अली रेल मंत्री
जॉन मथाई उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री
सी एच भाभा कार्य, खनन एवं बंदरगाह मंत्री
सी राजगोपालाचारी शिक्षा मंत्री
संविधान सभा के पुनर्गठन (26 अक्टूबर 1946) के बाद शामिल मुस्लिम लीग के सदस्य
लियाकत अली खाँ वित्त मंत्री
गजान्तर अली खाँ स्वास्थ्य मंत्री
अब्दुल रब नश्तर संचार मंत्री
जोगेंद्र नाथ मंडल विधि मंत्री
आई आई चुन्द्रिगर वाणिज्य मंत्री

Constitution Of India Hindi Pdf : भारत के संविधान सभा का पुनर्गठन

संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर 1946 को हुआ लियाकत अली 26 अक्टूबर 1946 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक वित्त मंत्री रहा। देश विभाजन के पश्चात लियाकत अली पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बन गया। 15 अगस्त को पुनः आर के षणमुखम चेट्टी वित्त मंत्री बने और 1949 से 1951 तक जॉन मथाई वित्त मंत्री रहे। उन्होंने ही स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था।

देश विभाजन के पश्चात भारत का प्रथम मंत्रिमंडल
पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री, राष्ट्रमंडल तथा विदेशी मामले, वैज्ञानिक शोध
सरदार बल्लभ भाई पटेल उप प्रधानमंत्री, राज्यों के मामले, सूचना एवं प्रसारण मंत्री
सरदार बलदेव सिंह रक्षा मंत्री
डॉ राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि मंत्री
मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा मंत्री
जॉन मथाई रेल मंत्री
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री
डॉ भीमराव आंबेडकर विधि या कानून मंत्री
राजकुमारी अमृता कौर (प्रथम महिला मंत्री) स्वास्थ्य मंत्री
रफी अहमद किदवई संचार मंत्री
जगजीवन राम श्रम मंत्री
आर के षणमुगलम् शेट्टी वित्त मंत्री
सी एच भाभा वाणिज्य मंत्री
वी एन गाडगिल कार्य, खान एवं ऊर्जा मंत्री

Constitution Of India Book In Hindi : संविधान सभा की पहली बैठक

9 दिसंबर 1946 को अंतरिम सरकार या अस्थाई सरकार का गठन किया गया। 9 दिसंबर को संविधान सभा की पहली बैठक न्यू दिल्ली स्थित काउंसिल चेंबर के पुस्तकालय भवन में हुई। लगभग 207 सदस्यों ने भाग लिया। डॉ सच्चिदानंद सिंहा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। पुनः 11 दिसंबर 1946 को राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एच सी मुखर्जी बने।

संविधान सभा की पहली बैठक में मुस्लिम लीग के सदस्य उपस्थित नहीं हुए उन्होंने इस बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए अलग संविधान की मांग की जिस पर संविधान सभा के अन्य सदस्यों ने मुस्लिम लीग के बिना ही कार्य आरंभ कर दिया।

26 जुलाई 1947 ईस्वी को गवर्नर जनरल ने पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा की स्थापना की घोषणा किया।

13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया तत्पश्चात 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया इस प्रस्ताव को के एम मुंशी ने “भारतीय गणराज्य की कुंडली” कहा। संविधान सभा में हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर सभी रियासतों ने भाग लिया। 31 अक्टूबर 1946 को संविधान का पुनर्गठन किया गया पुनर्गठित संविधान सभा में मुस्लिम लीग ने भी भाग लिया।

Constitution of India : संविधान सभा का पुनर्गठन

3 जून 1947 को कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने के कारण भारत में अब संविधान सभा में सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 324 हो गई 324 में 235 ब्रिटिश प्रांत और 89 स्थान देसी रियासत का था।

बी एन राव (बेनेगल नरसिंह राव) संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बने। संविधान सभा में मुख्य रूप से 8 महिलाओं ने भाग लिया। इसमें सरोजनी नायडू, हनसा मेहता, विजय लक्ष्मी पंडित, डी सी देशमुख, अरूणा आसफ अली और अमृता कौर प्रमुख थी। संविधान निर्माण हेतु कुछ समितियां गठित की गई जिनमें प्रमुख थी – संघीय संविधान समिति, प्रारूप समिति, प्रांतीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति और वार्ता समिति।

Indian Constitution : संविधान सभा की प्रमुख समितियां

संविधान सभा की प्रमुख समितियां तथा उनके अध्यक्ष
प्रारूप समिति डॉ भीमराव अंबेडकर
संचालन समिति डॉ राजेंद्र प्रसाद
संघ शक्ति समिति पंडित जवाहरलाल नेहरू
संघ संविधान समिति पंडित जवाहरलाल नेहरू
प्रांतीय संविधान समिति सरदार वल्लभ भाई पटेल
कार्य संचालन समिति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
झंडा समिति जे बी कृपलानी

प्रारूप समिति में कुल 7 सदस्य थे –

  1. डॉ भीमराव आंबेडकर (अध्यक्ष)
  2. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
  3. एन गोपाल स्वामी आयंगर
  4. अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
  5. सैयद मोहम्मद सादुल्ला
  6. एन माधवराव ( इन्हें बी एन मित्र के स्थान पर चुना गया)
  7. डी पी खेतान

1948 में डी पी खेतान की मृत्युु हो हो जानेेे पर टी टी कृष्णमाचारी सदस्य बाने।

मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों से संबंधित समिति की दो उप समितियां थी –

  1. मूल अधिकार उपसमिति – जे बी कृपलानी
  2. अल्पसंख्यक उपसमिति – एच सी मुखर्जी

The Constitution Of India भारत का संविधान : संविधान सभा की प्रारूप समिति का गठन

  • प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त से प्रारंभ हुआ और 30 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति की पहली बैठक हुई।
  • संविधान के प्रारूप को 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष के समक्ष पेश किया गया।
  • संविधान पर तीन बैठकें हुई। संविधान का प्रथम वाचन 4 नवंबर से 9 नवंबर 1948 तक चला।
  • अंतिम वाचन 14 या 17 नवंबर 1949 से 26 नवंबर 1949 तक चला उसी दिन संविधान को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया गया।
  • कुल 395 अनुच्छेद में से सिर्फ 15 अनुच्छेद, जिस में नागरिकता निर्वाचन और अंतरिम संसद से संबंधित तथ्यों को रखा गया।
  • संविधान को पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
  • संविधान सभा के संचालन के द्वारा संविधान का जो प्रारूप तैयार किया गया उसमें 240 अनुच्छेद और 13 अनुसूची थी।
  • लेकिन संविधान सभा के द्वारा जो पहला प्रारूप को तैयार किया गया था उसमें 305 अनुच्छेद, दूसरा वाचन में 386 और तीसरा वाचन में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूची और 22 भाग था।
  • वर्तमान समय में 395 अनुच्छेद 12 अनुसूची और 22 भाग है। लेकिन नए अनुच्छेदों को लगाकर 450 से ज्यादा अनुच्छेद और 12 अनुसूची है।

Bharat ka Samvidhan : भारत का संविधान लागू

  • संविधान सभा का अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुआ।
  • डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को देश का राष्ट्रपति चुना गया निर्वाचन अधिकारी एचबीआर आयंगर थे।
  • उनके नाम का प्रस्ताव नेहरू ने दिया और सरदार पटेल ने समर्थन दिया।
  • 26 जनवरी 1950 को भारत को गणराज्य घोषित किया गया और संविधान के प्रारंभ की तारीख 26 जनवरी को माना जाता है।
  • 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।
  • संविधान सभा ने 26 जनवरी 1950 से 1951-52 में हुए आम चुनाव के बाद बनने वाले संसद के विधिवत गठित होने तक भारत की अंतरिम संसद के रूप में कार्य किया।
  • इस दौरान संविधान सभा द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य –
  • राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन – मई 1949
  • राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया – जुलाई 1947
  • राष्ट्रगान तथा राष्ट्रीय गीत को अपनाया – 24 जनवरी 1950

Constitution Of India In Hindi : भारतीय संविधान की विशेषताएं  –

  • भारतीय संविधान का जनक डॉ भीमराव अंबेडकर को माना जाता है।
  • प्रस्तावना को संविधान की कुंजी कहा जाता है। जबकि संवैधानिक उपचारों को संविधान की ‘आत्मा’ या ‘हृदय’ कहा जाता है।
  • प्रस्तावना के अनुसार संविधान का स्रोत जनता है।
  • संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष से 11 महीना और 18 दिन लगे।
  • संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिनों तक बहस चली।
  • भारत के संविधान 1935 के अधिनियम पर आधारित है। नेहरू ने इस अधिनियम को दासता का चार्टर कहा कहा था।
  • भारत के मुख्य संविधान में इंडिया अथार्त् भारत का उल्लेख है। यह अनुच्छेद 1 से संबंधित है।
  • भारतीय संविधान में ‘फेडरल’ के स्थान पर ‘संघ’ शब्द का उल्लेख किया गया है।
  • 42वां संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना पंथनिरपेक्षता, समाजवाद, एकता और अखंडता को जोड़ा गया।
  • हयबर जिलिंग के अनुसार हमारा संविधान विश्व का सर्वाधिक व्यापक संविधान है।
  • डीडी बसु के अनुसार “हमारा संविधान न तो संघात्मक है ना एकात्मक बल्कि दोनों का सम्मिश्रण है”।
  • आस्टिन के अनुसार “भारतीय संविधान में परिवर्तन के साथ चयन की भी कला विद्वान है”।
  • भारत का संविधान लिखित और निर्मित दोनों है।
  • भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद, 12 अनुसूची और 22 भाग हैं। वहीं अमेरिका के संविधान में 7 अनुच्छेद, कनाडा के संविधान में 47 अनुच्छेद, ऑस्ट्रेलिया के संविधान में 148 तथा दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 253 अनुच्छेद हैं।
  • भारतीय संविधान में देशी रियासत को मिलाने में सरदार पटेल का साथ माउंटबेटन और बीपी में मेनन ने दिया था।
  • 1993 में सर्वोच्च न्यायालय के पीठ ने निर्णय लिया कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल अवधारणा है। धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता की धारना विश्वास, धर्म और उपासना पर आधारित है।

Constitution Of India Pdf : भारत का संविधान हिन्दी मे

  • 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र घोषित किया गया। जबकि पाकिस्तान 1956 तक अपने को गणतंत्र घोषित नहीं किया। गणतंत्र से आशय है भारत का सर्वोच्च नागरिक वंशानुगत ना होकर जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होंगे। भारत गणतंत्र लोकतंत्र जनतंत्र और प्रजातंत्र है जबकि ब्रिटेन लोकतंत्र, जनतंत्र और प्रजातंत्र है लेकिन गणतंत्र नहीं क्योंकि राष्ट्र प्रमुख वंश के आधार पर चुने जाते हैं।
  • भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। इस व्यवस्था में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के बीच संबंध रहता है। यह व्यवस्था ब्रिटेन से अभी प्रेरित है जबकि अध्यक्षात्मक व्यवस्था में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के बीच संबंध नहीं रहता है। यह व्यवस्था अमेरिका सुजरलैंड आदि देशों में प्रचलित है।
  • संविधान का अंतिम व्याख्याकार सर्वोच्च न्यायालय है।
  • राज्य का संघ यानि Union of States का उल्लेख संविधान में हुआ है।
  • प्रोफेसर के सी ह्वीयर ने भारतीय संविधान को अर्ध संघीय कहा है। जबकि बी एन बनर्जी के अनुसार भारतीय संविधान संघात्मक है परंतु भावना एकात्मक है यानि भारतीय संविधान में कठोरता और लचीलापन दोनों है।
  • न्यायिक पुनर्विलोकन से आशय संविधान तथा इनकी सर्वोच्चता की रक्षा करने से है। यदि केंद्र तथा राज्य सरकार संविधान का अतिक्रमण करती है तो न्यायालय उनकी व्याख्या कर सकती है।
  • हमारे संविधान निर्माताओं ने हिंदी को देवनागरी लिपि के रूप में भारत की राज्य भाषा घोषित किया है।
  • ऑस्टिन के अनुसार भारतीय संविधान 3 सिद्धांतों पर कार्य करता है – सर्वसम्मति, सहनशीलता और परिवर्तन के साथ चयन।
  • एन गोपाल स्वामी आयंगर के सिफारिश पर राष्ट्रपति को संसद का अंग बनाया गया। जबकि पी मुखर्जी के सिफारिश पर राज्यसभा में 2 वर्षों पर एक तिहाई सदस्यों की निष्कासन की व्यवस्था की गई।
  • 26 जनवरी 1950 को मतदान की उम्र सीमा 21 वर्ष थी 16वां संविधान (1989) संशोधन द्वारा इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।

Bharat ka Samvidhan in Hindi PDF

  • पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1993 में अनुच्छेद 340 के तहत किया गया।
  • भारत, स्विजरलैंड तथा कनाडा में बहुदलीय व्यवस्था है।
  • संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति संवैधानिक प्रधान होते हैं।
  • भारत में संसद सर्वोच्च होता है। न्यायपालिका सिर्सिर्नून की व्याख्या करती है।
  • संविधान का प्रस्तावना “हम भारत के लोग” से प्रारंभ होता है। संविधान निर्माता प्रस्तावना पर सबसे अधिक बल दिया। भारत की उद्देशिका प्रस्तावना में केवल एक बार 1976 में संशोधन किया गया है।
  • भारत का संविधान में नम्य एवं अनम्य दोनों है। हमारा संविधान का स्वरूप संरचना के दृष्टिकोण से संघ आत्मकथा भावना के दृष्टिकोण से एकात्मक है।

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