Sanskrit Vyakaran Lakar PDF
Sanskrit Vyakaran Lakar PDF ( संस्कृत व्याकरण लकार ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Grammar) के लकार टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट सभी शिक्षक भर्ती परीक्षा व्याख्याता (School Lecturer), द्वितीय श्रेणी अध्यापक (2nd Grade Teacher), REET 2021, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
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Sanskrit Vyakaran Lakar PDF ( संस्कृत व्याकरण लकार )
संस्कृत में लट् , लिट् , लुट् , लृट् , लेट् , लोट् , लङ् , लिङ् , लुङ् , लृङ् – ये दस लकार होते हैं। वास्तव में ये दस प्रत्यय हैं जो धातुओं में जोड़े जाते हैं। इन दसों प्रत्ययों के प्रारम्भ में ‘ल’ है इसलिए इन्हें ‘लकार’ कहते हैं
- लट् लकार (वर्तमानकाल),
- लिट् लकार (परोक्ष भूतकाल),
- लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यत्),
- लृट् लकार (सामान्य भविष्यत्),
- लङ् लकार (अनद्यतन भूत),
- लिङ् लकार (विधिलिङ) अनुमति, आज्ञा, प्रार्थना आदि अर्थ में,
- आशीलिङ् (आशीर्वाद अर्थ में),
- लोट् लकार (आज्ञा अर्थ में)
- लुङ् लकार (सामान्य भूतकाल) तथा
- लुङ् लकार (हेतु-हेतुमद्भूत)
(१) लट् लकार (= वर्तमान काल) जैसे :- श्यामः खेलति । ( श्याम खेलता है।)
(२) लिट् लकार (= अनद्यतन परोक्ष भूतकाल) जो अपने साथ न घटित होकर किसी इतिहास का विषय हो । जैसे :– रामः रावणं ममार । ( राम ने रावण को मारा ।)
(३) लुट् लकार (= अनद्यतन भविष्यत् काल) जो आज का दिन छोड़ कर आगे होने वाला हो । जैसे :– सः परश्वः विद्यालयं गन्ता । ( वह परसों विद्यालय जायेगा ।)
(४) लृट् लकार (= सामान्य भविष्य काल) जो आने वाले किसी भी समय में होने वाला हो । जैसे :— रामः इदं कार्यं करिष्यति । (राम यह कार्य करेगा।)
(५) लेट् लकार (= यह लकार केवल वेद में प्रयोग होता है, ईश्वर के लिए, क्योंकि वह किसी काल में बंधा नहीं है।)
(६) लोट् लकार (= ये लकार आज्ञा, अनुमति लेना, प्रशंसा करना, प्रार्थना आदि में प्रयोग होता है ।) जैसे :- भवान् गच्छतु । (आप जाइए ) ; सः क्रीडतु । (वह खेले) ; त्वं खाद । (तुम खाओ ) ; किमहं वदानि । (क्या मैं बोलूँ ?)
(७) लङ् लकार (= अनद्यतन भूत काल ) आज का दिन छोड़ कर किसी अन्य दिन जो हुआ हो । जैसे :- भवान् तस्मिन् दिने भोजनमपचत् । (आपने उस दिन भोजन पकाया था।)
(८) लिङ् लकार = इसमें दो प्रकार के लकार होते हैं :–
(क) आशीर्लिङ् (= किसी को आशीर्वाद देना हो) जैसे :- भवान् जीव्यात् (आप जीओ ) ; त्वं सुखी भूयात् । (तुम सुखी रहो।)
(ख) विधिलिङ् (= किसी को विधि बतानी हो ।) जैसे :- भवान् पठेत् । (आपको पढ़ना चाहिए।) ; अहं गच्छेयम् । (मुझे जाना चाहिए।)
(९) लुङ् लकार (= सामान्य भूत काल) जो कभी भी बीत चुका हो । जैसे :- अहं भोजनम् अभक्षत् । (मैंने खाना खाया।)
(१०) लृङ् लकार (= ऐसा भूत काल जिसका प्रभाव वर्तमान तक हो) जब किसी क्रिया की असिद्धि हो गई हो । जैसे :- यदि त्वम् अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् भवितुम् अर्हिष्यत् । (यदि तू पढ़ता तो विद्वान् बनता।)
1. लट् लकार पठ धातु रूप – वर्तमान काल Sanskrit Vyakaran Lat Lakar
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठति | पठत: | पठन्ति |
मध्यम पुरुष | पठसि | पठथः | पठथ |
उत्तम पुरुष | पठामि | पठावः | पठामः |
लट् लकार (वर्तमानकाल) के उदाहरण –
- अहम् पठामि । – मैं पढ रहा हूँ ।
- अहम् वदामि । (मैं बोल रहा हूँ)
- त्वम गच्छसि । (तुम जा रहे हो)
- सः पठति (वह पढता है)
- तौ पठतः (वे दोनो पढते हैं)
- ते पठन्ति (वे सब पढते हैं)
- युवाम वदथः (तुम दोनो बताते हो )
- युयम् वदथ (तुम सब बताते हो, बता रहे हो)
- आवाम् क्षिपावः (हम दोनो फेंकते हैं)
- वयं सत्यम् कथामः (हम-सब सत्य कहते हैं)
2. लङ् लकार पठ धातु रूप – भूतकाल Sanskrit Vyakaran Lang Lakar
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | अपठत् | अपठातम् | अपठन् |
मध्यम पुरुष | अपठः | अपठतम् | अपठत |
उत्तम पुरुष | अपठम् | अपठाव | अपठाम |
लङ् लकार (भूतकाल) के उदाहरण –
- उसने पढ़ा। – स: अपठत्।
- तुमने पढ़ा। – त्वम् अपठः।
- मैंने पढ़ा। – अहम् अपठम्।
- उन दोनों ने पढ़ा। – तौ अपठताम्।
- तुम दोनों ने पढ़ा। – युवाम् अपठतम्।
- हम दोनों ने पढ़ा।आवाम् अपठाव।
- उन सबने पढ़ा। – ते अपठन्।
- तुम सबने पढ़ा। – यूयं अपठत।
- हम सबने पढ़ा। – वयम् अपठाम्।
3. लृट् लकार पठ धातु रूप – भविष्यत् Sanskrit Vyakaran Lrit Lakar
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठिष्यति | पठिष्यतः | पठिष्यन्ति |
मध्यम पुरुष | पठिष्यसि | पठिष्यथः | पठिष्यथ |
उत्तम पुरुष | पठिष्यामि | पठिष्यावः | पठिष्यामः |
लृट् लकार (भविष्यत्) के उदाहरण –
- सः गमिष्यति। = वह जायेगा।
- सः कुत्र गमिष्यति? = वह कहाँ जायेगा?
- सः गृहं गमिष्यति। = वह घर जायेगा।
- रामः ग्रामं गमिष्यति। = राम गाँव जायेगा।
- तौ विद्यालयं गमिष्यतः। = वे दोनों विद्यालय जायेंगे।
- ते नगरं गमिष्यन्ति। = वे सब नगर जायेंगे।
- त्वं कुत्र गमिष्यसि ? = तू कहाँ जायेगा?
- युवां कुत्र गमिष्यथः? = तुम दोनों कहाँ जाओगे?
- यूयं कुत्र गमिष्यथ? = तुम सब कहाँ जाऐंगे?
- अहं जयपुरं गमिष्यामि। = मैंजयपुर जाऊँगा।
- आवां मन्दिरं गमिष्यावः। = हम दोनों मन्दिर जाऐंगे।
- वयम् उदयपुरं गमिष्यामः। = हम उदयपुर जायेंगे।
Sanskrit Vyakaran Lakar PDF ( संस्कृत व्याकरण लकार )
4. विधिलिङ् लकार पठ धातु रूप – चाहिए के अर्थ में Sanskrit Vyakaran VidhiLing Lakar
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठेत् | पठेताम् | पठेयुः |
मध्यम पुरुष | पठेः | पठेतम् | पठेत |
उत्तम पुरुष | पठेयम् | पठेव | पठेम |
विधिलिङ् लकार (चाहिए के अर्थ में) के उदाहरण –
- उन सारे गुप्तचरों को राष्ट्रभक्त होना चाहिए। (विधि) = ते सर्वे स्पशाः राष्ट्रभक्ताः भवेयुः।
- ये दवाएँ इस रोग के लिए पर्याप्त होनी चाहिए। = एतानि भैषज्यानि एतस्मै उपतापाय अलं भवेयुः।
- हम योगी हों। = वयं योगिनः भवेम।
- जिससे रोग न हों। = येन रुजाः न भवेयुः।
- हम दोनों सदाचारी होवें। = आवां सदाचारिणौ भवेव।
- सभी वैद्य धार्मिक होवें। = सर्वे अपि अगदङ्काराः धार्मिकाः भवेयुः।
- तुम दोनों लोभी वैद्य न होओ। = युवां लोलुपौ चिकित्सकौ न भवेतम् ।
- यह दवा खाकर तो दुर्बल भी बलवान् हो जाए। = एतत् औषधं भुक्त्वा दुर्बलः अपि बलवान् भवेत्।
- सभी रोगहीन होवें। = सर्वे अपि अनामयाः भवेयुः।
- मैं आयुर्वेद की बात मानने वाला होऊँ। = अहं आयुर्वेदस्य वचनकरः भवेयम्।
- तुम दोनों इस रोग से शीघ्र मुक्त होओ। = युवाम् अस्मात् गदात् शीघ्रं मुक्तौ भवेतम् ।
- हे भगवान् ! मैं इस रोग से जल्दी छूट जाऊँ। = हे भगवन् ! अहं अस्मात् आमयात् शीघ्रं मुक्तः भवेयम्।
5. लोट् लकार पठ धातु रूप – अनुज्ञा Sanskrit Vyakaran Lot Lakar
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठतु | पठताम् | पठन्तु |
मध्यम पुरुष | पठ | पठतम् | पठत |
उत्तम पुरुष | पठानि | पठाव | पठाम |
लोट् लकार (अनुज्ञा) के उदाहरण –
- त्वम् उपविश। – तुम बैठो।
- भवन्तः पठन्तु। – आप लोग पढ़िए।
- श्याम भवान् मया सह चलतु। – श्याम, मेरे साथ चलो।
- बालका: उद्याने क्रीडन्तु। – बच्चो को खेलने दो।
- शिष्य: पाठं पठतु। – शिष्यों को पढ़ने दो।
- अहं भोजनं खादानि किम् ? – क्या मैं भोजन खा लूँ ?
- नंदाम शरदः शतम्। – हम सैकड़ो वर्षोँ के लिए आनन्दित रहें।
- राम त्वं जलम् पिब। – राम तुम जल पियो।
- भवन्तः जलम् पिबन्तु। – आप जल पीजिये।
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