Sanskrit Vyakaran Maheshwar Sutra PDF
Sanskrit Vyakaran Maheshwar Sutra PDF ( संस्कृत व्याकरण माहेश्वर सूत्र ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Grammar) के माहेश्वर सूत्र टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट सभी शिक्षक भर्ती परीक्षा व्याख्याता (School Lecturer), द्वितीय श्रेणी अध्यापक (2nd Grade Teacher), REET 2021, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
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Sanskrit Vyakaran Maheshwar Sutra PDF ( संस्कृत व्याकरण माहेश्वर सूत्र )
संस्कृत भाषा के समस्त व्याकरण एवं वर्णमाला का आधार महर्षि पाणिनि द्वारा प्रतिपादित चौदह सूत्र हैं, जिन्हें ‘शिव सूत्र’ अथवा ‘माहेश्वर सूत्र’ भी कहते हैं।
माहेश्वर-सूत्र एवं वर्गों का उच्चारण (व्याकरण)
- महर्षि पाणिनि ने संस्कृत के सभी वर्गों को लेकर लघु सूत्रों द्वारा विस्तृत अर्थ वाले नियमों का निर्माण किया है। ये लघु सूत्र चौदह हैं, जिन्हें शिव-सूत्र अथवा माहेश्वर-सूत्र भी कहते हैं।
- अ इ उ ण् —
स्वर — अ , इ , उ
इत्संज्ञक — ण् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ऋ लृ क् —
स्वर — ऋ , लृ
इत्संज्ञक — क् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ए ओ ङ् —
स्वर — ए , ओ
इत्संज्ञक — ङ् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ऐ औ च् —
स्वर — ऐ , औ
इत्संज्ञक — च् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ह य व र ट् —
व्यञ्जन — ह , य , व , र
इत्संज्ञक — ट् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ल ण् —
व्यञ्जन — ल
इत्संज्ञक — ण् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ञ म ङ ण न म् —
व्यञ्जन — ञ , म , ङ , ण , न
इत्संज्ञक — म् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- झ भ ञ् —
व्यञ्जन — झ , भ
इत्संज्ञक — ञ् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- घ ढ ध ष् —
व्यञ्जन — घ , ढ , ध
इत्संज्ञक — ष् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ज ब ग ड द श्
व्यञ्जन — ज , ब , ग , ड , द
इत्संज्ञक — श् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- ख फ छ ठ थ च ट त व् —
व्यञ्जन — ख , फ , छ , ठ , थ , च , ट , त
इत्संज्ञक — व् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- क प य् —
व्यञ्जन — क , प
इत्संज्ञक — य् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- श ष स र् —
व्यञ्जन — श , ष , स
इत्संज्ञक — र् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
- हल् —
व्यञ्जन — ह
इत्संज्ञक — ल् ( प्रत्याहार बनाने के लिये )
इन सूत्रों के प्रत्याहार बनाते समय प्रत्येक सूत्र का अन्तिम (हलन्त) अक्षर लुप्त हो जाता है। इनमें आरम्भ के चार सूत्रों में स्वर वर्ण हैं तथा शेष दस सूत्रों में व्यंजन वर्ण।
Sanskrit Vyakaran Maheshwar Sutra PDF ( संस्कृत व्याकरण माहेश्वर सूत्र )
- इक्–इ, उ, ऋ, लू ( ‘अइउण्’ के ‘इ’ से ऋलुक्’ के ‘क’ के पूर्व के वर्ण)
- यण–य, व, र, ल ( ‘हयवर’ के ‘य’ से ‘लण’ के ‘ण के पूर्व के वर्ण)
- अक्-अ, इ, उ, ऋ, लू ( ‘अइउण्’ के ‘अ’ से ऋलुक्’ के ‘क’ के पूर्व के वर्ण)
- अच्-अ, इ, उ, ऋ, लु, ए, ओ, ऐ, औ ( ‘अइउण्’ के ‘अ’ से ‘ऐऔच्’ के ‘च्’ के पूर्व के वर्ण)
- एङ–ए, ओ ( ‘एओङ ‘ए’ से ‘ङ’ के पूर्व के वर्ण)
- एच् – ए, ओ, ऐ, औ ( ‘एओङ’ के ‘ए’ से ‘ऐऔच्’ के ‘च्’ के पूर्व के वर्ण) |
- झल्-झ, भ, घ, ढ, ध (वर्ग का चतुर्थ वर्ण), ज ब ग ड द (वर्ग का तृतीय वर्ण), ख, फ, छ, ठ, थे (वर्ग को द्वितीय वर्ण), च, ट, त, क, प (वर्ग का प्रथम वर्ण), श, ष, स, ह (ऊष्म वर्ण) = 24 वर्ण ( ‘झेभञ्’ में ‘झ’ से ‘हल्’ के ‘ल्’ तक के वर्ण)
- जश्-ज, ब, ग, ड, द (वर्ग का तृतीय वर्ग-जबगडदश्’ में ‘ज’ से ‘श्’ के पूर्व के वर्ण)
- हश्–ह, य, व, र, ल, ञ, म, ङ, ण, न, झ, भ, घ, ढ, ध, ज, ब, ग, ड, द (वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पञ्चम वर्ण और य, र, ल, व)। ‘हश्’ को कोमल व्यंजन भी कहते हैं। |
- खर्-ख, फ, छ, ठ, थ, च, ट, त, क, प, श, ष, स (वर्गों के प्रथम, द्वितीय वर्ण तथा श, ष, स)। ‘खर्’ प्रत्याहार को कठोर व्यंजन भी कहते हैं। |
पाणिनि के चौदह सूत्रों से अनेक प्रत्याहार बन सकते हैं, परन्तु पाणिनि ने मात्र 42 प्रत्याहारों का प्रयोग अपने व्याकरण में किया है। ये 42 प्रत्याहार पाणिनीय व्याकरण के सार माने जाते हैं।
प्रत्याहार
- माहेश्वर सूत्र कुल 14 हैं, इन सूत्रों से कुल 41 प्रत्याहार बनते हैं।
- एक प्रत्याहार उणादि सूत्र “ञमन्ताड्डः” से ” ञम् ” प्रत्याहार और
- एक वार्तिक से “चयोः द्वितीयः शरि पौष्करसादेः” से बनता है । इस प्रकार कुल 43 प्रत्याहार हो जाते हैं।
- आदि वर्ण अन्तिम इत् वर्ण के साथ मिलकर “ प्रत्याहार ” बनाता है । जो आदि वर्ण एवं इत्सञ्ज्ञक अन्तिम वर्ण के पूर्व आए हुए सभी वर्णों का समष्टि रूप में बोध कराता है।
जैसे
- “अण्” कहने से ” अ, इ, उ ” तीन वर्णों का ग्रहण होता है,
- “अच्” कहने से “अ” से “च्” तक सभी स्वरों का ग्रहण होता है।
- “हल्” कहने से सारे व्यञ्जनों का ग्रहण होता है।
आदि वर्ण के अनुसार 44 प्रत्याहार
(क) अकार से 8 प्रत्याहारः—(1) अण्, (2) अक्, (3) अच्, (4) अट्, (5) अण्, (6) अम्, (7) अश्, (8) अल्,
(ख) इकार से 3 प्रत्याहारः–(9) इक्, (10) इच्, (11) इण्,
(ग) उकार से 1 प्रत्याहारः–(12) उक्, (13)उण्
(घ) एकार से 2 प्रत्याहारः—(14) एङ्, (15) एच्,
(ङ) ऐकार से 1 प्रत्याहारः —(16) ऐच्,
(च) हकार से 2 प्रत्याहारः —(17) हश्, (18) हल्,
(छ) यकार से 5 प्रत्याहारः —(19) यण्, (20) यम्, (21) यञ्, (22) यय्, (23) यर्,
(ज) वकार से 2 प्रत्याहारः —(24) वश्, (25) वल्,
(झ) रेफ से 1 प्रत्याहारः —(26) रल्,
(ञ) मकार से 1 प्रत्याहारः —(27) मय्,
(ट) ङकार से 1 प्रत्याहारः —(28) ङम्,
(ठ) झकार से 5 प्रत्याहारः —(29) झष्, (30) झश्, (31) झय्, (32) झर्, (33) झल्,
(ड) भकार से 1 प्रत्याहारः —(34) भष्,
(ढ) जकार से 1 प्रत्याहारः –(35) जश्,
(ण) बकार से 1 प्रत्याहारः —(36) बश्,
(त) छकार से 1 प्रत्याहारः —(37) छव्,
(थ) खकार से 2 प्रत्याहारः —(38) खय्, (39) खर्,
(द) चकार से 1 प्रत्याहारः —(40) चर्,
(ध) शकार से 2 प्रत्याहारः —(41) शर्, (42) शल्,
इसके अतिरिक्त
(न) 1 उणादि का —(43) ञम्
(प) 1 वार्तिक का —(44) चय्
कुल 44 प्रत्याहार हुए।
Sanskrit Vyakaran Maheshwar Sutra PDF ( संस्कृत व्याकरण माहेश्वर सूत्र )
माहेश्वर सूत्र | प्रत्याहार | प्रत्याहार की सङ्ख्या |
अ इ उ ण् | अण् | 01 |
ऋ लृ क् | अक्, इक्, उक् | 03 |
ए ओं ङ् | एङ् | 01 |
ऐ औ च् | अच्, इच्, एच्, ऐच् | 04 |
ह य व र ट् | अट् | 01 |
ल ण् | अण्,इण्, उण्, यण् | 04 |
ञ म ङ ण न म् | अम्, यम्, ङम्, ञम् | 04 |
झ भ ञ् | यञ् | 01 |
घ ढ ध ष् | झष्, भष् | 02 |
ज ब ग ड द श् | अश्, हश्, वश्, झश्, जश्, बश् | 06 |
ख फ छ ठ थ च ट त व् | छव् | 01 |
क प य् | यय्, मय्, झय्, खय्, चय् | 05 |
श ष स र् | यर्, झर्, खर्, चर्, शर् | 05 |
ह ल् | अल्, हल्, वल्, रल्, झल्, शल् | 06 |
कुल सङ्ख्या | 44 |
विशेष— प्रत्याहारों के निर्माण के लिए चौदह माहेश्वर सूत्रों को क्रम से शुद्ध रूप में स्मरण रखना आवश्यक है, अन्यथा प्रत्याहार शुद्ध रूप से नहीं लिखे जा सकेंगे। जिस प्रत्याहार के वर्णों को लिखना हो उसका प्रथम वर्ण चौदह सूत्रों में से छाँटिए और अन्तिम (हलन्त) वर्ण तक चले जाइए । जब वह मिल जाए तो उसके मध्य के सभी वर्गों को लिख लीजिए। ये वर्ण ही उस प्रत्याहार के वर्ण होंगे।
क्र.सं. | विषय-सूची | Download PDF |
1 | वर्ण विचार व उच्चारण स्थान | Click Here |
2 | संधि – विच्छेद | Click Here |
3 | समास | Click Here |
4 | कारक एवं विभक्ति | Click Here |
5 | प्रत्यय | Click Here |
6 | उपसर्ग | Click Here |
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8 | धातु रूप | Click Here |
9 | सर्वनाम | Click Here |
10 | विशेषण – विशेष्य | Click Here |
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