Sanskrit Vyakaran Upsarg PDF
Sanskrit Vyakaran Upsarg PDF ( संस्कृत व्याकरण उपसर्ग ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Grammar) के उपसर्ग टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट सभी शिक्षक भर्ती परीक्षा व्याख्याता (School Lecturer), द्वितीय श्रेणी अध्यापक (2nd Grade Teacher), REET 2021, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
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उपसर्ग की परिभाषा – जो शब्दांश धातु, संज्ञा और विशेषणादि के पूर्व जोड़े जाकर उनके अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या सर्वथा अर्थ को बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं ।
संस्कृत में कुल 22 उपसर्ग माने जाते हैं। उनके नाम और अर्थ इस प्रकार हैं–प्र (अधिक), परा (उल्टा, पीछे), अप (दूर, हीनता, न्यूनता, बुरा), सम् (अच्छी तरह), अनु (पीछे), अव (नीचे, दूर), निस् (बिना, बाहर), निर् (बाहर), दुस् (कठिन), दुर् (बुरा), वि (बिना, अलग), आ-आ (तक, कम), नि (नीचे, निषेध), अधि (ऊपर, श्रेष्ठ), अपि (निकट), अति (बहुत), सु (सुन्दर), उत् (ऊपर); अभि (सामने, ओर), प्रति (ओर, उल्टा), परि. (चारों ओर), उप (निकट)।
संस्कृत व्याकरण उपसर्ग और उनके प्रयोग
- ‘प्र’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘प्र’ उपसर्ग का प्रयोग धातु (क्रिया) शब्द से पूर्व उत्कर्ष-अर्थ में होता है। प्रकोप, प्रबल, प्रपिता
- ‘सम्’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘सम्’ उपसर्ग का प्रयोग अच्छा, पूरा, साथ आदि अनेक अर्थ में किया जाता है। संस्कृत, संस्कार, संगीत
- ‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘दुस्’ उपसर्ग का प्रयोग बुरा, दुष्कर्म आदि अर्थ में आता है। दुराशा, दुरुक्ति, दुश्चिन्ह, दुष्कृत्य
- ‘अनु’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘अनु’ उपसर्ग का प्रयोग ‘बाद में’ अथवा ‘अनुकरण’ आदि के अर्थ में होता है। अनुक्रम, अनुताप, अनुज
- ‘वि’ उपसर्ग को प्रयोग – ‘वि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘विशेष’, ‘रहित’, ‘विपरीत’ अथवा ‘पृथक् आदि अर्थ में होता है। विख्यात, विनंती, विवाद
- ‘उप’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘उप’ उपसर्ग का प्रयोग ‘समीप’, अथवा ‘ओर’ आदि के अर्थ में होता है। उपग्रह, उपवेद, उपनेत्र
- ‘अति’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘अति’ उपसर्ग का प्रयोग ‘बहुत’ ‘अधिक’ आदि के अर्थ में होता है। अतिशय, अतिरेक;
- ‘अधि’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘अधि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘प्रधानता’ ‘समीपता’ आदि के अर्थ में होता है। अधिपति, अध्यक्ष, अध्ययन, अध्यापन
- ‘अप’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘अप’ उपसर्ग का प्रयोग ‘हीनता’ ‘दूर’ ‘बुरा’ ‘न्यूनत्तम’ आदि के अर्थ में होता है। अपकर्ष, अपमान, अपकार, अपजय
- ‘अभि’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘अभि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘पास’ ‘इच्छा’ ‘सामने’ ‘ओर’ आदि के अर्थ में होता है। अभिनंदन, अभिलाप, अभिमुख, अभिनय, अभ्युत्थान, अभ्युदय.
- ‘अव’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘अव’ उपसर्ग का प्रयोग ‘हीन’ ‘नीचे’ आदि के अर्थ में होता है। अवगणना, अवतरण, अवकृपा, अवगुण.
- ‘आ’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘आ’ उपसर्ग का प्रयोग ‘सीमा’ ‘विरोध’ आदि के अर्थ में होता है। आकंठ, आजन्म, आरक्त, आगमन, आदान, आक्रमण, आकलन.
इसे भी पढे : हिन्दी व्याकरण उपसर्ग
- ‘उत्’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘उत्’ उपसर्ग का प्रयोग ‘ऊपर’ ‘ ऊंचा’ आदि के अर्थ में होता है। उत्कर्ष, उत्तीर्ण, उद्भिज्ज
- ‘नि’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘नि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘निषेध’ ‘नीचा’ आदि के अर्थ में होता है। निमग्न, निबंध निकामी, निजोर.
- ‘निर्’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘निर्’ उपसर्ग का प्रयोग ‘बाहर’ निषेध’ आदि के अर्थ में होता है। निरंजन, निराषा
- ‘निस्’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘निस्’ उपसर्ग का प्रयोग ‘बाहर’ निषेध’ आदि के अर्थ में होता है। निष्फळ, निश्चल, नि:शेष.
- ‘परा’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘परा’ उपसर्ग का प्रयोग ‘पीछे’ ‘उल्टा’ ‘बाहर’ निषेध’ आदि के अर्थ में होता है। पराजय, पराभव
- ‘परि’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘परि’ उपसर्ग का प्रयोग ‘चारो ओर’ ‘आसपास’आदि के अर्थ में होता है। परिपाक, परिपूर्ण (व्याप्त), परिमित, परिश्रम, परिवार
- ‘प्रति’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘प्रति’ उपसर्ग का प्रयोग ‘प्रत्येक’ ‘बराबर’ ‘विपरीत’ आदि के अर्थ में होता है। प्रतिकूल, प्रतिच्छाया, प्रतिदिन, प्रतिवर्ष, प्रत्येक
- ‘सु’ उपसर्ग का प्रयोग – ‘सु’ उपसर्ग का प्रयोग ‘अच्छा’ ‘सुंदर’ आदि के अर्थ में होता है। सुभाषित, सुकृत, सुग्रास, सुगम, सुकर, स्वल्प, सुबोधित, सुशिक्षित
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1 | वर्ण विचार व उच्चारण स्थान | Click Here |
2 | संधि – विच्छेद | Click Here |
3 | समास | Click Here |
4 | कारक एवं विभक्ति | Click Here |
5 | प्रत्यय | Click Here |
6 | उपसर्ग | Click Here |
7 | शब्द रूप | Click Here |
8 | धातु रूप | Click Here |
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