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Hindi Shabdo ke Maanak Roop

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Hindi Shabdo ke Maanak Roop

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Hindi Shabdo ke Maanak Roop ( हिन्दी शब्दों के मानक रूप ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के हिन्दी शब्दों के मानक रूप टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।

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हिन्दी शब्दों के मानक रूप (Hindi Shabdo ke Maanak Roop) 

देवनागरी लिपि में जो वर्ण हैं, उनके दो-दो रूप हैं। स्वरों के लेखन, व्यंजनों पर उनकी मात्राओं के प्रयोग, संयुक्ताक्षरों के लेखन इत्यादि के दोहरेपन को देखकर उनके एक ही सर्वमान्य स्वरूप की आवश्यकता बहुत समय से अनुभव की जा रही थी। वर्तनी की इस कठिनाई के समाधान हेतु भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ‘वर्तनी समिति ने 1962 में कुछ उपयोगी निर्णय लिये थे और हिंदी का मानक स्वरूप निश्चित किया था।

देवनागरी लिपि का मानक स्वरूप

  • स्वर- अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ स्वरों की मात्राएँ
  • नोट-‘अ’ की कोई मात्रा नहीं होती। यह व्यंजन में सम्मिलित होता है।
  • अनुस्वार-अं ( )
  • विसर्ग– अ: (ा:)
  • व्यंजन
  • क वर्ग – क ख ग घ ङ
  • स्पर्श
  • च वर्ग – च छ ज झ ञ
  • ट वर्ग – ट ठ ड ढ ण ड़ ढ़
  • त वर्ग – त थ द ध न
  • प वर्ग – प फ ब भ म
  • अन्त:स्थ – य र ल व
  • ऊष्म – श ष स ह
  • संयुक्त व्यंजन – क्ष त्र ज्ञ श्र।
  • आगत व्रर्ण – ओं ज़ फ क ख ग
  • अंक – ० १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ६

किसी भाषा का विकास और सुधार एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह कार्य सरकार के प्रयासों से नहीं हो सकता। किन्तु मानक हिंदी के स्वरूप के निर्धारण हेतु हुए इन प्रयासों को समझने की आवश्यकता है।

  • स्पर्श व्यंजनों के प्रत्येक वर्ग के प्रथम चार वर्णो में अनुनासिकता प्रकट करने के लिए उसी वर्ग के पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार (बिंदु) का प्रयोग किया जाय। जैसे-गंगा, चंचल, वंदना, अंत, दंड इत्यादि।
  • नहीं, मैं, में, है इत्यादि में शिरोरेखा के ऊपर लगी मात्राओं के साथ बिंदु का प्रयोग हो। शेष आवश्यक स्थानों पर उच्चारण के अनुरूप चंद्रबिंदु का प्रयोग किया जाये। जैसे-हँसी, अँगार इत्यादि।
  • हिंदी में अपनाये जा चुके अरबी-फारसी भाषाओं के शब्दों के नीचे नुक्ता (.) तभी लगाया जाय जबकि उनका विदेशी रूप स्पष्ट करना आवश्यक हो अन्यथा नहीं। जैसे – कागज़ ज़रूरी आदि को कागज, जरूरी ही लिखा जाये।

अंग्रेजी भाषा के शब्द-

  • अंग्रेजी भाषा के उन शब्दों के ऊपर अर्ध चंद्र का प्रयोग किया जाय जिनके उच्चारण में ‘आ’ और ‘ओ’ की मिली-जुली ध्वनि व्यक्त हो। जैसेडॉक्टर, हॉस्पीटल, हॉस्टल इत्यादि।

संस्कृत का हल चिह्न-

  • संस्कृत के तथा तत्सम शब्दों की वर्तनी में हल् व्याकरण मानक हिंदी का स्वरूप 2 चिहन लगाया जाय किंतु जो शब्द हिंदी में बिना हल चिह्न के स्वीकार हो चुके हैं उनके साथ इसका प्रयोग न किया जाय। जैसे- विद्वान, श्रीमान, महान इत्यादि।

विसर्ग का प्रयोग-

  • संस्कृत के तथा तत्सम रूप में प्रयुक्त शब्दों के साथ विसर्ग का प्रयोग किया जाय, जैसे- अतः, स्वतः किंतु उस शब्द के तद्भव रूप के साथ विसर्ग का प्रयोग न किया जाय। जैसे-दु:ख को दुख लिखा जाये।

योजक चिह्न-

  • द्वंद्व समास के पदों के बीच में योजक- चिह्न लगाया जाय। जैसे-माता-पिता, शिव-पार्वती। ‘सा’, जैसा’ समानता सूचक शब्दों से पहले योजक चिह्न लगाया जाय। जैसे- राम-जैसा, मोहन-सा, उर्वशी-सी।

विभक्ति चिह्न-

  • विभक्ति चिह्न संज्ञा शब्दों से अलग लिखें। जैसे- राम ने, हरि को, बंदूक से।
  • किंतु सर्वनाम शब्दों के साथ जोड़कर लिखे जायें जैसे – तुमसे, उसने, हमको, आपको इत्यादि।
  • सर्वनाम शब्द और विभक्ति के बीच ‘ही’ ‘तक’ अव्यय आयें तो विभक्ति चिहन अलग लिखा जाय। जैसे-उस तक को नहीं छोड़ा। आप ही के लिए लाया हूँ।
  • सर्वनाम के दो विभक्ति चिह्न हों तो एक उससे जोड़कर तथा दूसरा उससे अलग लिखा जाय। जैसे-तुम में से, उसके लिए।

क्रिया तथा प्रत्यय-

  • यदि क्रिया के साथ पूर्व कालिक प्रत्यय ‘कर’ आये तो उसको मिलाकर लिखना चाहिये। जैसे-खाकर, सोकर, जागकर, बैठकर इत्यादि।

ऐं’ ‘और औस्वर-

  • ‘ऐ’, और ‘औ’ स्वरों के प्रयोग द्वारा दो ध्वनियाँ व्यक्त होती हैं जैसे- है (ऐ) तथा और (औ) तथा
  • गवैया (वै-वई), कौआ (को-क इ)। इन दोनों ध्वनियों को प्रगट करने के लिए इनके मात्रा-चिह्न तथा का प्रयोग होना चाहिये। इन शब्दों को ‘गवय्या’ कव्वा लिखना उचित नहीं है।

संयुक्त वर्ण-

  • ‘द’ के साथ ‘य’ का प्रयोग विद्यालय, विद्यार्थी को। विद्यालय, विद्यार्थी लिखना ठीक है। विध्यालय और विध्यार्थी लिखना भी शुद्ध नहीं है।
  • द् के साथ प, व का प्रयोग-द्वापर’ शब्द को द्वापर, द्वारका को द्वारका, द्वन्द्व को द्वंद्व लिखना ठीक है।

ये और एका प्रयोग-

  • ‘ये’ और ‘ए’ के प्रयोग में पर्याप्त भ्रम होता है। वर्तनी समिति ‘ए’ के प्रयोग पर बल देती है। इनके प्रयोग के लिए इन बातों पर ध्यान दिया जा सकती है
  • जिस क्रिया के भूतकाल के पुल्लिंग एकवचन के अंत में ‘या’ आता है उसका बहुवचन ‘ये’ होगा। जैसे-गया गये। आया-आये। (आए, गए नहीं).
  • जिस क्रिया के भूतकाल के पुल्लिंग एकवचन के अंत में ‘आ’ आता है उसके पुल्लिंग बहुवचन में ‘ए’ आयेगा। जैसे-हुआ-हुए। (हुवे हुये-नहीं)
  • पी, दे, कर, लो से विधिवाचक (चाहिए वाचक) क्रिया बनाने के लिए इनमें ‘इए’ प्रत्यय जोड़ा जायेगा। जैसे पीजिए, दीजिए, कीजिए, लीजिए।
  • इसलिये, चाहिये, राम के लिये इत्यादि में ‘ये’ नहीं ‘ए’ का प्रयोग होगा। जैसे- इसलिए, चाहिए, के लिए।
  • विशेषण के अंत के अनुसार ‘ये’ अथवा ‘ए’ का प्रयोग होगा। जैसे नया लड़का-नये लड़के। जाता हुआ महीना जाते हुए महीने।।


Hindi Grammar and Pedagogy PDF ( हिन्दी व्याकरण एवं शिक्षण विधियाँ )

क्र.सं. विषय-सूची Download PDF
1 वर्ण विचार व वर्ण विश्लेषण Click Here
2 शब्द ज्ञान (तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी) Click Here
3 शब्द युग्म Click Here
4 उपसर्ग Click Here
5 प्रत्यय Click Here
6 पर्यायवाची शब्द Click Here
7 विलोम शब्द Click Here
8 एकार्थी शब्द Click Here
9 संधि – विच्छेद Click Here
10 समास Click Here
11 संज्ञा Click Here
12 सर्वनाम Click Here
13 विशेषण – विशेष्य Click Here
14 क्रिया Click Here
15 लिंग भेद Click Here
16 वचन Click Here
17 काल Click Here
18 कारक Click Here
19 अव्यय Click Here
20 वाक्यांश के लिए एक शब्द Click Here
21 शब्द शुद्धि Click Here
22 वाक्य रचना, वाक्य के अंग व प्रकार Click Here
23 विराम चिन्ह Click Here
24 पदबंध Click Here
25 शब्दों के मानक रूप Click Here
26 शब्दार्थ Click Here
27 मुहावरें Click Here
28 लोकोक्तियां Click Here
29 राजस्थानी शब्दो के हिन्दी रूप Click Here
30 राजस्थानी मुहावरों का अर्थ व प्रयोग Click Here
31 हिन्दी शिक्षण विधियां Click Here
32 Download Full PDF Click Here

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