REET Hindi Muhavare PDF
Hindi Vyakaran Muhavare PDF ( हिन्दी व्याकरण मुहावरे ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के मुहावरे टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
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हिन्दी व्याकरण मुहावरे (Hindi Vyakaran Muhavare PDF)
- अंग छूटा – (कसम खाना) मैं अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नहीं देखी।
- अंग-अंग मुसकाना-(बहुत प्रसन्न होना) – आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
- अंग-अंग टूटना-(सारे बदन में दर्द होना) – इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।
- अंग-अंग ढीला होना-(बहुत थक जाना) – तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।
- अक्ल का दुश्मन-(मूर्ख)- वह तो निरा अक्ल का दुश्मन निकला।
- अक्ल चकराना-(कुछ समझ में न आना) – प्रश्न-पत्र देखते ही मेरी अक्ल चकरा गई।
- अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना (समझाने पर भी न मानना) – तुम तो सदैव अक्ल के पीछे लठ लिए फिरते हो।
- अक्ल के घोड़े दौड़ाना-(तरह-तरह के विचार करना) – बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए, तब कहीं वे अणुबम बना सके।
- आँख दिखाना-(गुस्से से देखना) – जो हमें आँख दिखाएगा, हम उसकी आँखें फोड़ देगें।
- आँखों में गिरना-(सम्मानरहित होना) – कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता की आँखों में गिरा दिया।
- आँखों में धूल झोंकना-(धोखा देना) – शिवाजी मुगल पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर बंदीगृह से बाहर निकल गए।
- आँख चुराना-(छिपना) – आजकल वह मुझसे आँखें चुराता फिरता है।
- आँख मारना-(इशारा करना) – गवाह मेरे भाई का मित्र निकला, उसने उसे आँख मारी, अन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।
- आँख तरसना-(देखने के लालायित होना) – तुम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें तरस गई।
- आँख फेर लेना-(प्रतिकूल होना) – उसने आजकल मेरी ओर से आँखें फेर ली हैं।
- आँख बिछाना-(प्रतीक्षा करना) – लोकनायक जयप्रकाश नारायण जिधर जाते थे उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी होती थी।
- आँखें सेंकना-(सुंदर वस्तु को देखते रहना) – आँख सेंकते रहोगे या कुछ करोगे भी
- आँखें चार होना-(प्रेम होना,आमना-सामना होना) – आँखें चार होते ही वह खिड़की पर से हट गई।
- आँखों का तारा-(अतिप्रिय) – आशीष अपनी माँ की आँखों का तारा है।
- आँख उठाना-(देखने का साहस करना) – अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नहीं उठा सकेगा।
- आँख खुलना-(होश आना) – जब संबंधियों ने उसकी सारी संपत्ति हड़प ली तब उसकी आँखें खुलीं।
- आँख लगना-(नींद आना अथवा व्यार होना) – बड़ी मुश्किल से अब उसकी आँख लगी है। आजकल आँख लगते देर नहीं होती।
- आँखों पर परदा पड़ना-(लोभ के कारण सचाई न दीखना) – जो दूसरों को ठगा करते हैं, उनकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है। इसका फल उन्हें अवश्य मिलेगा।
- आँखों का काटा-(अप्रिय व्यक्ति) – अपनी कुप्रवृत्तियों के कारण राजन पिताजी की आँखों का काँटा बन गया।
- आँखों में समाना-(दिल में बस जाना) – गिरधर मीरा की आँखों में समा गया।
- कलेजे पर हाथ रखना-(अपने दिल से पूछना) – अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो कि क्या तुमने पैन नहीं तोड़ा।
- कलेजा जलना-(तीव्र असंतोष होना) – उसकी बातें सुनकर मेरा कलेजा जल उठा।
- कलेजा ठंडा होना-(संतोष हो जाना) – डाकुओं को पकड़ा हुआ देखकर गाँव वालों का कलेजा ठंढा हो गया।
- कलेजा थामना-(जी कड़ा करना) – अपने एकमात्र युवा पुत्र की मृत्यु पर माता-पिता कलेजा थामकर रह गए।
- कलेजे पर पत्थर रखना-(दुख में भी धीरज रखना) – उस बेचारे की क्या कहते हों, उसने तो कलेजे पर पत्थर रख लिया है।
- कलेजे पर साँप लोटना-(ईर्ष्या से जलना) – श्रीराम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
- कान भरना-(चुगली करना) – अपने साथियों के विरुद्ध अध्यापक के कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।
- कान कतरना-(बहुत चतुर होना) – वह तो अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरता है।
- कान का कच्चा-(सुनते ही किसी बात पर विश्वास करना) – जो मालिक कान के कच्चे होते हैं वे भले कर्मचारियों पर भी विश्वास नहीं करते।
- कान पर जूँ तक न रेंगना-(कुछ असर न होना) – माँ ने गौरव को बहुत समझाया, किन्तु उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।
- कानोंकान खबर न होना-(बिलकुल पता न चलना) – सोने के ये बिस्कुट ले जाओ, किसी को कानोंकान खबर न हो।
- नाक में दम करना-(बहुत तंग करना) – आतंकवादियों ने सरकार की नाक में दम कर रखा है।
- नाक रखना-(मान रखना)- सच पूछो तो उसने सच कहकर मेरी नाक रख ली।
- नाक रगड़ना-(दीनता दिखाना) – गिरहकट ने सिपाही के सामने खूब नाक रगड़ी, पर उसने उसे छोड़ा नहीं।
- नाक पर मक्खी न बैठने देना – (अपने पर आँच न आने देना) – कितनी ही मुसीबतें उठाई, पर उसने नाक पर मक्खी न बैठने दी।
- नाक कटना-(प्रतिष्ठा नष्ट होना) – अरे भैया आजकल की औलाद तो खानदान की नाक काटकर रख देती है।
- मुँह की खाना-(हार मानना) – पड़ोसी के घर के मामले में दखल देकर हरद्वारी को मुँह की खानी पड़ी।
- मुँह में पानी भर आना-(दिल ललचाना) – लड्डुओं का नाम सुनते ही पंडितजी के मुँह में पानी भर आया।
- मुँह खून लगना-(रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना) – उसके मुँह खून लगा है, बिना लिए वह काम नहीं करेगा।
- मुँह छिपाना-(लज्जित होना) – मुँह छिपाने से काम नहीं बनेगा, कुछ करके भी दिखाओ।
- मुँह रखना-(मान रखना) – मैं तुम्हारा मुँह रखने के लिए ही प्रमोद के पास गया था, अन्यथा मुझे क्या आवश्यकता थी।
- मुँहतोड़ जवाब देना-(कड़ा उत्तर देना) – श्याम मुँहतोड़ जवाब सुनकर फिर कुछ नहीं बोला।
- मुँह पर कालिख पोतना-(कलंक लगाना) – बेटा तुम्हारे कुकर्मों ने मेरे मुँह पर कालिख पोत दी है।
- मुँह उतरना-(उदास होना) – आज तुम्हारा मुँह क्यों उतरा हुआ है।
- मुँह ताकना-(दूसरे पर आश्रित होना) – अब गेहूँ के लिए हमें अमेरिका का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।
- मुँह बंद करना-(चुप कर देना) – आजकल रिश्वत ने बड़े-बड़े अफसरों का मुँह बंद कर रखा है।
- दाँत पीसना-(बहुत ज्यादा गुस्सा करना)- भला मुझ पर दाँत क्यों पीसते हो? शीशा तो शंकर ने तोड़ा है।
- दाँत खट्टे करना-(बुरी तरह हराना) – भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।
- दाँत काटी रोटी-(घनिष्ठता, पक्की मित्रता) – कभी राम और श्याम में दाँत काटी रोटी थी पर आज एक-दूसरे के जानी दुश्मन है।
- गरदन झुकाना-(लज्जित होना) – मेरा सामना होते ही उसकी गरदन झुक गई।
- गरदन पर सवार होना-(पीछे पड़ना) – मेरी गरदन पर सवार होने से तुम्हारा काम नहीं बनने वाला है।
- गरदन पर छुरी फेरना-(अत्याचार करना) – उस बेचारे की गरदन पर छुरी फेरते तुम्हें शरम नहीं आती, भगवान इसके लिए तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे।
- गला घोंटना-(अत्याचार करना) – जो सरकार गरीबों का गला घोंटती है वह देर तक नहीं टिक सकती।
- गला फँसाना-(बंधन में पड़ना) – दूसरों के मामले में गला फँसाने से कुछ हाथ नहीं आएगा।
- गले मढ़ना-(जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना) – इस बुद्धू को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है।
- गले का हार-(बहुत प्यारा) – तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तुम्हारे काम को क्यों मना करने लगा।
- सिर पर भूत सवार होना-(धुन लगाना) – तुम्हारे सिर पर तो हर समय भूत सवार रहता है।
- सिर पर मौत खेलना-(मृत्यु समीप होना) – विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘भैया ! मुझे क्या डरा रहे हो ? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है‘।
- सिर पर खून सवार होना-(मरने-मारने को तैयार होना) – अरे, बदमाश की क्या बात करते हो ? उसके सिर पर तो हर समय खून सवार रहता है।
- सिर-धड़ की बाजी लगाना-(प्राणों की भी परवाह न करना) – भारतीय वीर देश की रक्षा के लिए सिर-धड़ की बाजी लगा देते हैं।
- सिर नीचा करना-(लजा जाना) – मुझे देखते ही उसने सिर नीचा कर लिया।
- हाथ खाली होना-(रुपया-पैसा न होना) – जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाली हो गया था।
- हाथ खींचना-(साथ न देना) – मुसीबत के समय नकली मित्र हाथ खींच लेते हैं।
- हाथ पे हाथ धरकर बैठना-(निकम्मा होना) – उद्यमी कभी भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते हैं, वे तो कुछ करके ही दिखाते हैं।
- हाथों के तोते उड़ना-(दुख से हैरान होना) – भाई के निधन का समाचार पाते ही उसके हाथों के तोते उड़ गए।
- हाथोंहाथ – (बहुत जल्दी) – यह काम हाथोंहाथ हो जाना चाहिए।
- हाथ मलते रह जाना-(पछताना) – जो बिना सोचे-समझे काम शुरू करते है वे अंत में हाथ मलते रह जाते हैं।
- हाथ साफ करना-(चुरा लेना) – ओह ! किसी ने मेरी जेब पर हाथ साफ कर दिया।
- हाथ-पाँव मारना-(प्रयास करना) – हाथ-पाँव मारने वाला व्यक्ति अंत में अवश्य सफलता प्राप्त करता है।
- हाथ डालना-(शुरू करना) – किसी भी काम में हाथ डालने से पूर्व उसके अच्छे या बुरे फल पर विचार कर लेना चाहिए।
- हवा लगना-(असर पड़ना) – आजकल भारतीयों को भी पश्चिम की हवा लग चुकी है।
- हवा से बातें करना-(बहुत तेज दौड़ना) – राणा प्रताप ने ज्यों ही लगाम हिलाई, चेतक हवा से बातें करने लगा।
- हवाई किले बनाना-(झूठी कल्पनाएँ करना) – हवाई किले ही बनाते रहोगे या कुछ करोगे भी ?
- हवा हो जाना-(गायब हो जाना) – देखते-ही – देखते मेरी साइकिल न जाने कहाँ हवा हो गई ?
- पानी-पानी होना-(लज्जित होना) – ज्योंही सोहन ने माताजी के पर्स में हाथ डाला कि ऊपर से माताजी आ गई। बस, उन्हें देखते ही वह पानी-पानी हो गया।
- पानी में आग लगाना-(शांति भंग कर देना) – तुमने तो सदा पानी में आग लगाने का ही काम किया है।
- पानी फेर देना-(निराश कर देना) – उसने तो मेरी आशाओं पर पानी पेर दिया।
- पानी भरना-(तुच्छ लगना)-तुमने तो जीवन – भर पानी ही भरा है।
- अँगूठा दिखाना-(देने से साफ इनकार कर देना) – सेठ रामलाल ने धर्मशाला के लिए पाँच हजार रुपए दान देने को कहा था, किन्तु जब मैनेजर उनसे मांगने गया तो उन्होंने अँगूठा दिखा दिया।
- अगर-मगर करना-(टालमटोल करना) – अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नहीं है। बंधु !
- अंगारे बरसाना-(अत्यंत गुस्से से देखना) – अभिमन्यु वध की सूचना पाते ही अर्जुन के नेत्र अंगारे बरसाने लगे।
- आड़े हाथों लेना-(अच्छी तरह काबू करना) – श्रीकृष्ण ने कंस को आड़े हाथों लिया।
- आकाश से बातें करना-(बहुत ऊँचा होना) – टी.वी.टावर तो आकाश से बाते करती है।
- ईद का चाँद-(बहुत कम दीखना)-मित्र आजकल तो तुम ईद का चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो ?
- उँगली पर नचाना-(वश में करना) – आजकल की औरतें अपने पतियों को उँगलियों पर नचाती हैं।
- कलई खुलना-(रहस्य प्रकट हो जाना) – उसने तो तुम्हारी कलई खोलकर रख दी।
- काम तमाम करना-(मार देना) – रानी लक्ष्मीबाई ने पीछा करने वाले दोनों अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया।
- कुत्ते की मौत करना-(बुरी तरह से मरना) – राष्ट्रद्रोही सदा कुत्ते की मौत मरते हैं।
- कोल्हू का बैल-(निरंतर काम में लगे रहना) – कोल्हू का बैल बनकर भी लोग आज भरपेट भोजन नहीं पा सकते।
- खाक छानना- (दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अच्छा है एक जगह जमकर काम करो।
- गड़े मुरदे उखाड़ना-(पिछली बातों को याद करना) – गड़े मुरदे उखाड़ने से तो अच्छा है कि अब हम चुप हो जाएँ।
- गुलछर्रे उड़ाना-(मौज करना) – आजकल तुम तो दूसरे के माल पर गुलछर्रे उड़ा रहे हो।
- घास खोदना-(फुजूल समय बिताना) – सारी उम्र तुमने घास ही खोदी है।
- चंपत होना-(भाग जाना) – चोर पुलिस को देखते ही चंपत हो गए।
- चौकड़ी भरना-(छलाँगे लगाना) – हिरन चौकड़ी भरते हुए कहीं से कहीं जा पहुँचे।
- छक्के छुडा़ना-(बुरी तरह पराजित करना) – पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी के छक्के छुड़ा दिए।
- टका-सा जवाब देना-(कोरा उत्तर देना) – आशा थी कि कहीं वह मेरी जीविका का प्रबंध कर देगा, पर उसने तो देखते ही टका-सा जवाब दे दिया।
- टोपी उछालना-(अपमानित करना) – मेरी टोपी उछालने से उसे क्या मिलेगा?
- तलवे चाटने-(खुशामद करना) – तलवे चाटकर नौकरी करने से तो कहीं डूब मरना अच्छा है।
- थाली का बैंगन-(अस्थिर विचार वाला) – जो लोग थाली के बैगन होते हैं, वे किसी के सच्चे मित्र नहीं होते।
- दाने-दाने को तरसना-(अत्यंत गरीब होना) – बचपन में मैं दाने-दाने को तरसता फिरा, आज ईश्वर की कृपा है।
- दौड़-धूप करना-(कठोर श्रम करना) – आज के युग में दौड़-धूप करने से ही कुछ काम बन पाता है।
- धज्जियाँ उड़ाना-(नष्ट-भ्रष्ट करना) – यदि कोई भी राष्ट्र हमारी स्वतंत्रता को हड़पना चाहेगा तो हम उसकी धज्जियाँ उड़ा देंगे।
- नमक-मिर्च लगाना-(बढ़ा-चढ़ाकर कहना) – आजकल समाचारपत्र किसी भी बात को इस प्रकार नमक-मिर्च लगाकर लिखते हैं कि जनसाधारण उस पर विश्वास करने लग जाता है।
- नौ-दो ग्यारह होना-(भाग जाना) – बिल्ली को देखते ही चूहे नौ-दो ग्यारह हो गए।
- फूँक-फूँककर कदम रखना-(सोच-समझकर कदम बढ़ाना)-जवानी में फूँक-फूँककर कदम रखना चाहिए।
- बाल-बाल बचना-(बड़ी कठिनाई से बचना) – गाड़ी की टक्कर होने पर मेरा मित्र बाल-बाल बच गया।
- भाड़ झोंकना-(योंही समय बिताना) – दिल्ली में आकर भी तुमने तीस साल तक भाड़ ही झोंका है।
- मक्खियाँ मारना-(निकम्मे रहकर समय बिताना) – यह समय मक्खियाँ मारने का नहीं है, घर का कुछ काम-काज ही कर लो।
- माथा ठनकना-(संदेह होना)- सिंह के पंजों के निशान रेत पर देखते ही गीदड़ का माथा ठनक गया।
- मिट्टी खराब करना-(बुरा हाल करना) – आजकल के नौजवानों ने बूढ़ों की मिट्टी खराब कर रखी है।
- रंग उड़ाना – (घबरा जाना)-काले नाग को देखते ही मेरा रंग उड़ गया।
- रफूचक्कर होना-(भाग जाना) – पुलिस को देखते ही बदमाश रफूचक्कर हो गए।
- लोहे के चने चबाना-(बहुत कठिनाई से सामना करना) – मुगल सम्राट अकबर को राणाप्रताप के साथ टक्कर लेते समय लोहे के चने चबाने पड़े।
- विष उगलना-(बुरा-भला कहना) – दुर्योधन को गांडीव धनुष का अपमान करते देख अर्जुन विष उगलने लगा।
- श्रीगणेश करना-(शुरू करना) – आज बृहस्पतिवार है, नए वर्ष की पढाई का श्रीगणेश कर लो।
हजामत बनाना-(ठगना) – ये हिप्पी न जाने कितने भारतीयों की हजामत बना चुके हैं। - शैतान के कान कतरना – (बहुत चालाक होना)-तुम तो शैतान के भी कान कतरने वाले हो, बेचारे रामनाथ की तुम्हारे सामने बिसात ही क्या है ?
- राई का पहाड़ बनाना – (छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना) – तनिक-सी बात के लिए तुमने राई का पहाड़ बना दिया।
- आँखों का तारा – बहुत प्यारा
- आँखें बिछाना – स्वागत करना
- आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
- चंडूखाने की बातें करना – झूठी बातें होना
- चंडाल चौकड़ी – दुष्टों का समूह
- छिछा लेदर करना – दुर्दशा करना
- टिप्पस लगाना – सिफारिश करना
- टेक निभाना – प्रण पूरा करना
- तारे गिनना – नींद न आना
- त्रिशंकु होना – अधर में लटकना
- मजा चखाना – बदला लेना
- मन मसोसना – विवश होना
- हाथ पसारना – मांगना
- हाथ मलना – पछताना
- हालत पतली होना – दयनीय दशा होना
- सेमल का फूल होना – थोडें दिनों का असितत्व होना
- सब्जबाग दिखाना – झूठी आशा देना
- घी के दिए जलाना – प्रसन्न होना
- घुटने टेकना – हार मानना
- घड़ों पानी पड़ना – लजिज्त होना
- चाँद का टुकड़ा होना – बहुत सुंदर होना
- चिकना घड़ा होना – बात का असर न होना
- चांदी काटना – अधिक लाभ कमाना
- चांदी का जूता मारना – रिश्वत देना
- छक्के छुड़ाना – परास्त कर देना
- छप्पर फाड़कर देना – अनायास लाभ होना
- छटी का दूध याद आना – अत्यधिक कठिन होना
- छाती पर मूंग दलना – पास रहकर दिल दु:खाना
- छूमन्तर होना – गायब हो जाना
- छाती पर सांप लोटना – ईर्ष्या करना
- जबान को लगाम देना – सोच समझकर बोलना
- जान के लाले पड़ना – प्राण संकट में पड़ना
- जी खट्टा होना – मन फिर जाना
- जमीन पर पैर न रखना – अहंकार होना
- जहर उगलना – बुराई करना
- जान पर खेलना – प्राणों की बाजी लगाना
- टेढ़ी खीर होना – कठिन कार्य
- टांग अड़ाना – दखल देना
- टें बोल जाना – मर जाना
- ठकुर सुहाती कहना – खुशामद करना
- डकार जाना – हड़प लेना
- ढोल की पोल होना – खोखला होना
- तीन तेरह होना – बिखर जाना
- तलवार के घाट उतारना – मार डालना
- थाली का बैगन होना – सिद्धांतहीन होना
- दांत काटी रोटी होना – गहरी दोस्ती
- दो -दो हाथ करना – लड़ना
- धूप में बाल सफेद होना – अनुभव होना
- धाक जमाना – प्रभावित करना
- नाकों चने चबाना – बहुत सताना
- नाक -भौं सिकोड़ना – अप्रसन्नता व्यक्त करना
- पत्थर की लकीर होना – अमिट होना
- पेट में दाढ़ी होना – कम उम्र में अधिक जानना
- पौ बारह होना – खूब लाभ होना
- कालानाग होना – बहुत घातक व्यक्ति
- केर -बेर का संग होना – विपरीत मेल
- धोंधा वसंत होना – मूर्ख व्यक्ति
- घूरे के दिन फिरना – अच्छे दिन आना
- आग बबूला होना – अत्यधिक क्रोध करना
- आस्तिन का सांप होना – कपटी मित्र
- आँखें दिखाना – धमकाना
- अंगूठा दिखाना – मना कर देना
- अक्ल सठियाना – बुद्धि भ्रष्ट होना
- अंगूठे पर रखना – परवाह न करना
- अपना उल्लू सीधा करना – अपना काम बना लेना
- अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना
- आसमान टूट पड़ना – अचानक मुसीबत आ जाना
- आसमान पर दिमाग होना – अहंकारी होना
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – करारा जवाब देना
- ईद का चाँद होना – बहुत कम दिखाई देना
- ईंट से ईंट बजाना – ध्वस्त कर देना
- उल्टे छुरे से मूंढ़ना – ठग लेना
- उड़ती चिड़िया के पंख गिनना – अत्यन्त चतुर होना
- ऊंट के मुंह में जीरा होना – अधिक खुराक वाले को कम देना
- एड़ी चोटी का जोर लगाना – बहुत प्रयास करना
- ओखली में सिर देना – जान बूझकर मुसीबत मोल लेना
- औधी खोपड़ी का होना – बेवकूफ होना
- कलेजा ठण्डा होना – शांत होना
- कलेजे पर पत्थर रखना – दिल मजबूत करना
- कलेजे पर सांप लोटना – अन्तर्दाह होना
- कलेजा मुंह को आना – घबरा जाना
- काठ का उल्लू होना – मूर्ख होना
- कान काटना – चतुर होना
- कान खड़े होना – सावधान हो जाना
- काम तमाम करना – मार डालना
- कुएं में बांस डालना – बहुत खोजबीन करना
- कलई खुलना – पोल खुलना
- कलेजा फटना – दुःख होना
- कीचड़ उछालना – बदनाम करना
- खून खौलना – क्रोध आना
- खून का प्यासा होना – प्राण लेने को तत्पर होना
- खाक छानना – भटकना
- खटाई में पड़ना – व्यवधान आ जाना
- गाल बजाना – डींग हांकना
- गूलर का फूल होना – दुर्लभ होना
- गांठ बांधना – याद रखना
- गुड़ गोबर कर देना – काम बिगाड़ देना
- घाट -घाट का पानी पीना – अनुभवी होना
- भुजा उठाकर कहना – प्रतिज्ञा करना
- हाथ के तोते उड़ना – घबरा जाना
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