Hindi Vyakaran Chhand PDF
Hindi Vyakaran Chhand PDF ( हिन्दी व्याकरण छन्द) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के छन्द टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
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Hindi Vyakaran Chhand PDF ( हिन्दी व्याकरण छन्द)
छन्द – छंद शब्द ‘चद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है ‘आह्लादित करना’, ‘खुश करना’। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है। इस प्रकार, छंद की परिभाषा होगी ‘वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं’। छंद का सर्वप्रथम उल्लेख ‘ ऋग्वेद’ में मिलता है। जिस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण है, उसी प्रकार पद्य का छंद शास्त्र है।
छंद के अंग- निम्नलिखित हैं
1. चरण/ पद/ पाद
2. वर्ण और मात्रा
3. संख्या और क्रम
4. गण
5. गति
6. यति/ विराम
7. तुक
छंद के प्रकार
1. वर्णिक छंद (या वृत) – जिस छंद के सभी चरणों में वर्णों की संख्या समान हो।
2. मात्रिक छंद (या जाति) – जिस छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या समान हो।
3. मुक्त छंद – जिस छंद में वर्णिक या मात्रिक प्रतिबंध न हो।
वर्णिक छन्द
जिन छन्दों के चरण या पाद वर्णों की संख्या पर निर्भर हों, उन्हें वर्णिक छन्द कहते हैं।
मात्रिक छन्द
जिन छन्दों के पाद या चरण मात्राओं की संख्या पर निर्भर हो, उन्हें मात्रिक छन्द कहते हैं।
मात्रा- स्वर वर्ण का निश्चित उच्चारण काल मात्रा कहा जाता है इसके दो भेद होते हैं-
(1) लघु (2) दीर्घ / गुरु
• लघु की मात्रा- जहाँ अ, इ, उ, ऋ,लृ का उच्चारण हो वहाँ ह्रस्व/लघु की मात्रा लगती है ।
• गुरु की मात्रा – जहाँ आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ए, ओ, औ की मात्रा लगी हो तो वहाँ गुरु की मात्रा लगती है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- जिस वर्ण में अनुस्वार तथा विसर्ग लगा हो तो गुरु की मात्रा होती है।
- संयुक्त वर्ण से पहले वर्ण गुरु होता है, जब दो या दो से अधिक व्यंजन वर्ण एक जगह मिल जाते हैं, वह संयुक्त वर्ण होता है।
- हलन्त व आधा वर्ण में मात्रा नहीं लगाते हैं, हलन्त व आधा वर्ण से पूर्व का वर्ण गुरु होता है।
- संयुक्त वर्ण में अन्तिम वर्ण के उच्चारण के अनुसार मात्रा लगती है।
- छन्द के नियम के अनुसार चरण का अन्तिम वर्ण बदल जाता है अर्थात् लघु होने पर भी दीर्घ हो जाता है।
- ह्रस्व वर्ण कब दीर्घ हो जाता है।
(i) अनुस्वार तथा विसर्ग लगने पर – अं अः
(ii) संयुक्त वर्ण से पूर्व आने पर
(iii) छन्द के लक्षण के अनुसार अन्तिम हस्व भी दीर्घ हो जाता है।
गण– वर्णों या मात्राओं के समूह को गण कहते हैं ।
गण सूत्र – यमाताराजभानसलगा
गण आठ होते हैं। एक गण में तीन वर्ण आते हैं।
1. यगण – यमाता – ।ऽऽ
2. मगण – मातारा – ऽऽऽ
3. तगण – ताराज – ऽऽ।
4. रगण – राजभा – ऽ।ऽ
5. जगण – जभान – ।ऽ।
6. भगण – भानस – ऽ।।
7. नगण – नसल – ।।।
8. सगण – सलगा – ।।ऽ
छन्दों के लक्षण और उदाहरण
मात्रिक छन्दः मात्रिक छन्द में मात्रा की गणना होती है । लघु की एक तथा गुरु की दो मात्राएँ होती हैं ।
आर्या छन्द – जिस छन्द के प्रथम और तृतीय चरण में 12-12 मात्र होती हैं। दूसरे में 18 तथा चौथे में 15 मात्रा होती हैं. वहाँ आर्या छन्द होता है। पहले चरण में 7 वर्ण या 9 वर्ण हों तो वहाँ आर्या छन्द की संभावना होती है ।
वर्णिक छन्दः
अनुष्टुप् छन्द :- जिस छन्द के प्रत्येक चरण में 8-8 वर्ण होते हैं चारों चरणों में पाँचवा वर्ण लघु और छठा वर्ण गुरु होता है। पहले और तीसरे में सातवां वर्ण गुरु तथा दूसरे और चौथे चरण में सातवां वर्ण लघु होता है। वहाँ अनुष्टुप् छन्द होता है। अनुष्टप छन्द के प्रत्येक चरण में 8 अक्षर होते हैं। इस प्रकार चारों चरणों में 32 अक्षर होते हैं।
इन्द्रवज्रा छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः तगण, तगण, जगण एवं अन्त में दो गुरु वर्ण आते हैं। इस प्रकार प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं, वहाँ इन्द्रवज्रा छन्द होता है। पहचान – पहला वर्ण गुरु।
उपेन्द्रवज्रा छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश: जगण, तगण, जगण तथा अन्त में दो गुरु वर्ण होते हैं, उसे उपेन्द्रवज्रा छन्द कहते हैं। उपेन्द्रवज्रा छन्द के प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं इस प्रकार चारों चरणों में 44 वर्ण होते हैं। पहचान : पहला वर्ण लघु
उपजाति छन्द – जिस छन्द में इन्द्रवज्रा और उपेन्द्रवज्रा के लक्षण मिले होते हैं, उसे उपजाति कहते हैं। उपजाति छन्द के प्रत्येक चरण में 11 वर्ण, इस प्रकार चारों चरणों में 44 वर्ण होते हैं।
वंशस्य छन्द – वंशस्थ छन्द के प्रत्येक चरण में 12 वर्ण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में जगण, तगण, जगण, रगण होते हैं। पहचान : दूसरा वर्ण गुरु होता है ।
द्रुतविलम्बित छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में नगण, भगण, भगण तथा रगण होते हैं, उसे द्रुतविलम्बित छन्द कहते हैं। इसमें प्रत्येक चरण में 12 वर्ण होते हैं इस प्रकार चारों चरणों में 48 वर्ण होते हैं। पहचान : दूसरा वर्ण लघु होता है ।
भुजंगप्रयात छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में चार यगण होते हैं, उसे भुजंगप्रयात छन्द कहते हैं। इसमें प्रत्येक चरण में 12 वर्ण होते हैं। इस प्रकार चारों चरणों में 48 वर्ण होते हैं।
बसन्ततिलका – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः तगण, भगण, जगण, जगण तथा अन्त में दो गुरु वर्ण हों तो उसे वसन्ततिलका छन्द कहते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 14 वर्ण, इस प्रकार चारों चरणों में 56 वर्ण होते हैं।
मालिनी छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः नगण, नगण, मगण, यगण, यगण होते हैं तथा 8 और 7 वर्णों के बाद यति होती है, उसे मिलिनी छन्द कहते हैं। मालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में 15 वर्ण होते हैं इस प्रकार चारों चरणों में 60 वर्ण होते हैं।
मन्दाक्रान्ता छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश: मगण, भगण, नगण, तगण, तगण तथा अन्त में दो गुरु वर्ण होते है तथा 4, 6 और 7 वर्णों के बाद यति होती है, उसे मन्दाक्रान्ता छन्द कहते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 17-17 वर्ण होते है। इस प्रकार चारों चरणों में 60 वर्ण होते है ।
शिखरिणी छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः यगण, मगण, नगण, सगण, भगण तथा अन्त में एक लघु वर्ण और एक गुरु वर्ण होता है तथा 6 और 11 वर्णों के बाद यति होती है, उसे शिखरिणी छन्द कहते हैं।
शार्दूल विक्रीडित छन्द – जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण तथा अन्त में एक गुरु वर्ण होता है तथा 12 और 7 वर्णों के बाद यति होती है, उसे शार्दूल विक्रीडित छन्द कहते हैं। शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में 19 वर्ण होते हैं।
Hindi Grammar and Pedagogy PDF ( हिन्दी व्याकरण एवं शिक्षण विधियाँ )
क्र.सं. | विषय-सूची | Download PDF |
1 | वर्ण विचार व वर्ण विश्लेषण | Click Here |
2 | शब्द ज्ञान (तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी) | Click Here |
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