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Hindi Vyakaran Sandhi PDF

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Hindi Vyakaran Sandhi PDF 

 

Hindi Vyakaran Sandhi PDF ( हिन्दी व्याकरण संधि ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के संधि टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । Hindi Vyakaran Sandhi PDF ( हिन्दी व्याकरण संधि ) पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।

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संधि:-  संधि का अर्थ मेल होता है दो वर्णों के मेल से जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। इसमें पूर्व पद का अंतिम वर्ण और पर पद का पहला वर्ण दोनों के मेल से जो शब्द बनता हैं उसे संधि शब्द कहते है ।

संधि शब्द को अलग करना संधि विच्छेद कहलाता है।                  

उदाहरण:-                                                                   

महेश = महा (आ) + ईश (ई)                                            

गिरीन्द्र (संधि शब्द) = गिरि + इन्द्र (संधि विच्छेद)

देव्यागम = देवी (पूर्व पद का अंतिम वर्ण) + आगम (पर पद का पहला वर्ण)

सन्धि के तीन भेद होते हैं

(1) स्वर संधि         

(2) व्यंजन संधि      

(3) विसर्ग संधि

(1) स्वर सन्धि:- स्वर का स्वर से मेल होने से जो विकार या परावर्तन होता हैं या दो स्वरों के आपस में मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं।

[ स्वर संधि = स्वर + स्वर ( का मेल ) ]

उदाहरण – देव + अलय = देवालय

स्वर संधि के पांच भेद होते है ।

(A) दीर्घ संधि

(B) गुण संधि

(C) वृद्धि संधि

(D) यण संधि

(E) अयादि संधि

(A) दीर्घ स्वर संधि = दो समान स्वरों के मेल से उसी वर्ण का दीर्घ स्वर बन जाता है उसे दीर्घ स्वर संधि कहते है

(I)- यदि “अ, आ” के बाद “अ, आ” आ जाए तो दोनों के मेल से “आ” हो जाता हैं ।

अ + अ = आ

अ + आ = आ

आ + अ = आ

आ + आ = आ

उदाहरण:-

देवालय = देव + आलय ( अ + आ = आ )

रेखांकित = रेखा + अंकित ( आ + अ =आ )

रामावतार = राम + अवतार ( अ + अ =आ )

कुछ अन्य उदाहरण

परमार्थ = परम + अर्थ

उपाध्यक्ष = उप + अध्यक्ष

रसायन = रस + अयन

दिनांत = दिन + अंत

भानूदय = भानु + उदय

मधूत्सव = मधु + उत्सव

(II) यदि “इ, ई” के बाद “इ, ई” आ जाए तो दोनों के मेल से “ई” हो जाता हैं।

इ + इ = ई

इ + ई = ई

ई + इ = ई

ई + ई = ई

उदाहरण:

नदीश = नदी + ईश ( ई + ई = ई )

कपीश = कपि + ईश ( इ + ई = ई )

कुछ अन्य उदाहरण –

गिरीश = गिरि + ईश

सतीश = सती + ईश

हरीश = हरि + ईश

मुनीश्वर = मुनि + ईश्वर

(III) यदि “उ, ऊ” के बाद “उ, ऊ” आ जाए तो दोनों के मेल से “ऊ” हो जाता हैं ।

उ + उ = ऊ

उ + ऊ = ऊ

ऊ + उ = ऊ

ऊ + ऊ = ऊ

उदाहरण

वधूत्सव = वधु + उत्सव ( उ + उ = ऊ )

लघूर्मि = लघु + ऊर्मि ( उ + ऊ = ऊ )

भूर्जा = भू + ऊर्जा ( ऊ + ऊ = ऊ )

कुछ अन्य उदाहरण

भानूदय = भानु + उदय

मधूत्सव = मधु + उत्सव

वधूल्लास = वधु + उल्लास

भूषर = भू + ऊषर

(B)  गुण स्वर संधि –  दो भिन्न – भिन्न स्थानों से उच्चारित होने वाले स्वरो के बीच संधि होती है ।

(I) “अ” या “आ” के बाद “इ” या “ई” आए तो दोनों के मेल से “ए” में परिवर्तन हो जाता हैं।

अ / आ + इ / ई = ए 

उदाहरण

महेन्द्र = महा + इन्द्र ( आ + इ = ए )

राजेश = राजा + ईश ( आ + ई = ए )

कुछ अन्य उदाहरण

भारतेन्द्र = भारत + इन्द्र

मत्स्येन्द्र = मत्स्य + इन्द्र

राजेन्द्र = राजा + इन्द्र

लंकेश = लंका + ईश

(II) “अ” या “आ” के बाद “उ” या “ऊ” आए तो दोनों के मेल से “ओ” में परिवर्तन हो जाता हैं ।

अ / आ + उ / ऊ = ओ

उदाहरण

जलोर्मि = जल + ऊर्मि ( अ + ऊ = ओ )

वनोत्सव = वन + उत्सव ( अ + उ = ओ )

कुछ अन्य उदाहरण

भाग्योदय = भाग्य + उदय

नीलोत्पल = नील + उत्पल

महोदय = महा + उदय

जलोर्मि = जल + उर्मि

(III) “अ” या “आ” के बाद “ऋ” आए तो “अर्” में परिवर्तन हो जाता है ।

अ / आ + ऋ = अर्

उदाहरण

महर्षि = महा + ऋषि ( अ + ऋ = अर् )

देवर्षि = देव + ऋषि ( अ + ऋ = अर् )

(C)  वृद्धि स्वर संधि –

(I) “अ” या “आ” के बाद “ए” या “ऐ” आए तो “ऐ” हो जाता हैं ।

अ / आ + ए / ऐ = ऐ

उदाहरण

एकैक = एक + एक ( अ + ए = ऐ )

धनैश्वर्य = धन + ऐश्वर्य ( अ + ऐ = ऐ )

मतैक्य = मत +ऐक्य ( अ +ऐ =ऐ )

कुछ अन्य उदाहरण

हितैषी = हित + एषी

मत + ऐक्य = मतैक्य

सदैव =  सदा + एव

महैश्वर्य = महा + ऐश्वर्य

(II) “अ” या “आ” के बाद “ओ” या “औ” आए तो “औ” हो जाता हैं ।

अ / आ + ओ / औ = औ

उदाहरण –

महौषध = महा + औषध ( आ + औ = औ )

वनौषधि = वन + ओषधि ( अ + ओ = औ )

परमौषध = परम + औषध ( अ +औ=औ )

महौघ = महा + ओघ  ( आ +ओ =औ )

(D) यण स्वर संधि – कुछ स्वर आपस मे संधि करने पर किसी स्वर मे बदलने के बजाय व्यंजन य् , व् , र् आदि मे बदल जाते है । 

(I) “इ” या “ई” के बाद कोई अन्य स्वर आए तो “इ” या “ई”“य् में बदल जाता है और अन्य स्वर “य्” से जुड़ जाते हैं।

उदाहरण –

अत्यावश्यक = अति + आवश्यक ( इ + आ = या )

संधि विच्छेद –

अति + आवश्यक

अ + त् + इ + आ + व + श् + य + क

अ + त् + या + व + श् + य + क

अ + त्या + व + श् + य + क = अत्यावश्यक

व्यर्थ = वि + अर्थ ( इ + अ = य )

कुछ अन्य उदाहरण

यदि + अपि = यद्यपि

इति + आदि = इत्यादि

नदी + अर्पण = नद्यर्पण    

(II) “उ” या “ऊ” के बाद कोई अन्य स्वर आए तो “उ” या “ऊ”“व्” में बदल जाता है और अन्य स्वर “व्” से जुड़ जाते हैं।

उदाहरण

स्वागत = सु + आगत ( उ + आ = वा )

मन्वन्तर = मनु + अन्तर ( उ + अ = व)

कुछ अन्य उदाहरण –

अनु + अय = अन्वय

सु + आगत = स्वागत

अनु + एषण = अन्वेषण

(III) “ऋ” के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो दोनों मिलकर “र्” हो जाते हैं।

उदाहरण –

पित्राज्ञा = पितृ + आज्ञा ( ऋ + अ = रा )

मात्राज्ञा = मातृ + आज्ञा ( ऋ + अ = रा )

(D) अयादि स्वर संधि – यदि “ए” “ऐ” “ओ” “औ” के बाद कोई स्वर आए तो वह क्रमश: “अय्” “आय्” “अव्” “आव्” हो जाता है ।

(I) “ए” या “ऐ” के बाद कोई भिन्न स्वर आए “ए” का “अय्”, “ऐ” का “आय्” हो जाता है।

उदाहरण

नयन = ने + अन ( ए + अ = अय )

संधि विच्छेद –

ने + अन

न् + ए + अ + न

न् + अय् + अ + न

न् + अय् + अ + न

नय् + अ + न = नयन

उदाहरण

गायक = गै + अक ( ऐ + अ = आय )

कुछ अन्य उदाहरण –

गायिका = गै+ इका

चयन = चे + अन

शयन = शे + अन

(II) या के बाद कोई भिन्न स्वर आए का अव् , का आव् हो जाता है।

उदाहरण

पवन = पो + अन ( ओ + अ = अव )

पावन = पौ + अन  ( औ + अ = आव )

कुछ अन्य उदाहरण –

हवन = हो + अन

भवन = भो + अन

शावक = शौ + अक

Hindi Vyakaran Sandhi PDF ( हिन्दी व्याकरण संधि )

(2) व्यंजन संधि – व्यंजन का व्यंजन से, व्यंजन का स्वर से या स्वर का व्यंजन से मेल होने पर जो विकार उत्पन्न होता हैं। उसे व्यंजन संधि कहते  हैं ।

उदाहरण

दिग्गज = दिक् + गज

नियम 1-  क्, च्, ट्, त्, प् के बाद किसी वर्ग का तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या कोई स्वर आ जाए तो क्, च्, ट्, त्, प् के स्थान पर अपने ही वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है।

नोट – [क्, च्, ट्, त्, प् + तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या कोई स्वर —–> अपने ही वर्ग का तीसरा ( क् – ग् , च् – ज् , प् – ब् , त् – द् )]

उदाहरण

जगदम्बा = जगत् + अम्बा ( त् + अ = त वर्ग का तीसरा वर्ण – द )

दिग्दर्शन = दिक् + दर्शन  ( क् + द = ग् )

दिगंत = दिक् +अंत ( क् + अ = ग् )

कुछ अन्य उदाहरण –

दिग्विजय = दिक् + विजय

सदात्मा = सत् + आत्मा

सदुपयोग = सत् + उपयोग

सुबंत = सुप् + अंत

सद्धर्म = सत् + धर्म

नियम 2 – क्, च्, ट्, त्, प् के बाद या आ जाए तो क्, च्, ट्, त्, प् के स्थान पर अपने ही वर्ग का पाँचवा वर्ण हो जाता है।

नोट – [ क्, च्, ट्, त्, प् + न या म —–> अपने ही वर्ग का पाँचवा

उदाहरण

जगन्नाथ = जगत् + नाथ ( त् + न = न्  “अपने ही वर्ग का पाँचवा” )

उन्नयन = उत् + नयन ( त् + न = न् )

कुछ अन्य उदाहरण

जगन्माता = जगत् + माता

श्रीमन्नारायण = श्रीमत् + नारायण

चिन्मय = चित् + मय

नियम 3 – त् के बाद श् आ जाए तो त् का च् और श् का छ् हो जाता हैं।

नोट – [ त् + श —-> त् का च् और श् का छ् ]

उदाहरण

उच्छ्वास = उत् + श्वास ( त् का च् और श् का छ् )

उच्छिष्ट = उत् + शिष्ट

सच्छास्त्र = सत् + शास्त्र

नियम 4 – त् के बाद , छ आ जाए तो त् का च् हो जाता हैं।

नोट-[ त् + च,छ —-> त् का च् हो जाता है ]

उदाहरण

उच्चारण = उत् + चारण

उच्छिन = उत् + छिन्न

उच्छेद = उत् + छेद

सच्चरित्र = सत् + चरित्र

नियम 5 – त् + ग,घ,द,ध,ब,भ,य,र,व —–> त् का द् हो जाता है

उदाहरण

सद्धर्म = सत् + धर्म (त् का द् हो जाता है )

नियम 6 – त् के बाद आजाए तो त् के स्थान पर द् और के स्थान पर ध् हो जाता हैं।

उदाहरण

उद्धार = उत् + हार

पद्धति = पद् + हति

नियम 7 – त् + ज् = त् का ज् हो जाता है।

उदाहरण

उज्ज्वल = उत् + ज्वल

सज्जन = सत् + जन

जगज्जननी = जगत् + जननी

नियम 8 – म् के बाद क् से म् तक के व्यंजन आये तो म् बाद में आने बाले व्यंजन के पंचमाक्षर में परिवर्तित हो जाता है।

नोट – [ म् + क् से म् = म् बाद में आने बाले व्यंजन के पंचमाक्षर में परिवर्तित हो जाता है। ]

उदाहरण –

संताप = सम् + ताप

संदेश = सम् + देश

चिरंतन = चिरम् + तन

अलंकार = अलम् + कार

नियम 9 – यदि , उ  स्वर के बाद स् आता है तो स् का ष् में परिवर्तित हो जाता है ।

उदाहरण-

अभिषेक = अभि + सेक

सुष्मिता = सु + स्मिता

Hindi Vyakaran Sandhi PDF ( हिन्दी व्याकरण संधि )

(3) विसर्ग संधि- विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आ जाए तो दोंनो के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

नियम 1 – यदि विसर्ग के पहले हो और विसर्ग के बाद 3,4,5,वर्ण हो या ,र,ल,व,ह हो या हो तो विसर्ग का हो जाता हैं

नोट – [ विसर्ग के पहले अ हो + 3,4,5,वर्ण हो या य,र,ल,व,ह हो या अ —-> ओ हो जाता हैं ]

उदाहरण

यशोदा – यश : + दा ( अ : + द – ओ )

पयोद – पय : + द ( अ : + द – ओ )

कुछ अन्य उदाहरण:

मनोच्छेद = मन : + उच्छेद

रजोगुण = रज : + गुण

तपोधाम = तप : + धाम 

नियम 2 – यदि विसर्ग के पहले ,ई,उ,ऊ हो और विसर्ग के बाद 3,4,5,वर्ण हो या ,र,ल,व,ह हो तो विसर्ग का र् हो जाता हैं।

नोट – [ विसर्ग के पहले इ,ई,उ,ऊ हो + 3,4,5,वर्ण हो या य,र,ल,व,ह हो —-> र् हो जाता हैं ]

उदाहरण

आशीर्वाद = आशी : + वाद ( ई : + व – र् )

निर्भय = नि : + भय ( इ : + भ – र् )

कुछ अन्य उदाहरण

दुर्घटना = दु : + घटना

आविर्भाव = आवि : + भाव

धनुर्धर = धनु : + धर

नियम 3 – विसर्ग के बाद ,छ,श हो, तो विसर्ग का श् का हो जाता है।

नोट – [ पहले स्वर : + च,छ,श ——> विसर्ग के स्थान पर श् हो जाता है ]

उदाहरण

दुश्शासन = दु : + शासन ( उ : + श = श् )

निश्छल = नि : + छल ( इ : + छ = श् )

मनश्चेतना = मन : + चेतना

निश्चय = नि : + चय

नियम 4 – पहले स्वर : + त,थ,स ——> विसर्ग के स्थान पर स् हो जाता है।

उदाहरण

दुस्तर = दु : + तर ( उ : + त – स् )

नमस्ते  = नम : + ते ( अ : + त – स् )

नियम 5 – यदि विसर्ग के पूर्व अ , आ से अतरिक्त कोई अन्य स्वर हो तथा विसर्ग के बाद क,ख,ट,प,फ हो तो विसर्ग ष् में परिवर्तित हो जाता है।

नोट – [अन्य स्वर  : + क,ख,ट,प,फ ——> विसर्ग के स्थान पर ष् हो जाता है ]

उदाहरण

निष्पाप = नि: + पाप ( इ : + प = ष् )

दुष्ट = दु : + ट  ( उ : + ट = ष् )

निष्फल = नि : + फल

नियम 6 – अ स्वर : + अन्य स्वर ——> विसर्ग का लोप

उदाहरण

अतएव = अतः + एव ( अ : + ए “अन्य स्वर” = विसर्ग का लोप )

यशइच्छा = यश : + इच्छा

नियम 7 – यदि विसर्ग के पूर्व अ , आ से अतरिक्त कोई अन्य स्वर हो और विसर्ग के बाद र् हो तो, विसर्ग के पूर्व के स्वर का लोप हो जाता है और वह दीर्घ हो जाता हैं।

नोट – [पहले इ या उ स्वर : + सामने र हो ——-> विसर्ग के पूर्व के स्वर का लोप हो जाता है और वह दीर्घ हो जाता हैं ]

उदाहरण

नीरस = नि : + रस

नीरव = नि : + रव

संधि के अन्य उदाहरण

आत्मोत्सर्ग = आत्मा + उत्सर्ग

प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष

अत्यंत = अति + अंत

प्रत्याघात = प्रति + आघात

महोत्सव  = महा + उत्सव

जीर्णोद्वार = जीर्ण + उद्धार

धनोपार्जन = धन + उपार्जन

अंतर्राष्ट्रीय = अंतः + राष्ट्रीय

श्रवण = श्री + अन

पुनरुक्ति = पुनर् + उक्ति

अंतःकरण = अंतर् + करण

स्वाधीन = स्व + आधीन

अंतर्ध्यान = अंतः + ध्यान

प्रत्याघात = प्रति + आघात

अत्यंत = अति + अंत

अत्यावश्यक = अति + आवश्यक

किंचित = किम् + चित

सुषुप्ति = सु + सुप्ति

प्रमाण = प्र + मान

रामायण = राम + अयन

विद्युल्लेखा = विद्युत् + लेखा

Hindi Vyakaran Sandhi PDF ( हिन्दी व्याकरण संधि ) नीचे लिंक से डाउनलोड करे । 


Hindi Grammar and Pedagogy PDF ( हिन्दी व्याकरण एवं शिक्षण विधियाँ )

क्र.सं.विषय-सूचीDownload PDF
1वर्ण विचार व वर्ण विश्लेषणClick Here
2शब्द ज्ञान (तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी)Click Here
3शब्द युग्मClick Here
4उपसर्गClick Here
5प्रत्ययClick Here
6पर्यायवाची शब्दClick Here
7विलोम शब्दClick Here
8एकार्थी शब्दClick Here
9संधि – विच्छेदClick Here
10समासClick Here
11संज्ञाClick Here
12सर्वनामClick Here
13विशेषण – विशेष्यClick Here
14क्रियाClick Here
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16वचनClick Here
17कालClick Here
18कारकClick Here
19अव्ययClick Here
20वाक्यांश के लिए एक शब्दClick Here
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22वाक्य रचना, वाक्य के अंग व प्रकारClick Here
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26शब्दार्थClick Here
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28लोकोक्तियांClick Here
29राजस्थानी शब्दो के हिन्दी रूपClick Here
30राजस्थानी मुहावरों का अर्थ व प्रयोगClick Here
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