Hindi Vyakaran Viram Chinh
Hindi Vyakaran Viram Chinh ( हिन्दी व्याकरण विराम चिन्ह ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के विराम चिन्ह टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
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हिन्दी व्याकरण विराम चिन्ह (Hindi Vyakaran Viram Chinh )
विराम चिह्न – Viram chinh (Punctuation Mark)
विराम चिह्न की परिभाषा :- ठहराव अथवा रुकना। किसी भी भाषा को बोलते, पढ़ते या लिखते समय या किसी कथन को समझाने के लिए अथवा भावों को नष्ट करने के लिए वाक्यो के बीच में या अंत में थोड़ा रुकना होता है और किसी रूकावट का संकेत देने वाले लिखित चिह्न विराम विराम चिह्न कहलाते हैं।
☞ विराम चिह्न के प्रयोग से भावों को आसानी से समझा जा सकता है और भाषा में स्पष्टता आती है। यदि उचित स्थान पर इनका प्रयोग न किया जाए तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
जैसे :-
- रोको, मत जाने दो।
- रोको मत, जाने दो।
हिंदी में कई तरह के विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।
प्रमुख विराम चिह्न :-
विराम चिह्नों के नाम | विराम चिह्न |
पूर्ण विराम | । |
अर्धविराम | ; |
अल्पविराम | , |
प्रश्न सूचक | ? |
विस्मय सूचक चिन्ह | ! |
योजक चिह्न | – |
निर्देशक चिह्न | ¬ |
उद्धरण चिह्न | ” “ |
विवरण चिह्न | :- |
कोष्ठक चिह्न | ( ) |
संक्षेप सूचक | . |
☞ पूर्ण विराम (।) :- पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य पूरा होने पर किया जाता है। जहां प्रश्न पूछा जाता है उसे छोड़कर हर प्रकार के वाक्यों के अंत में इसका प्रयोग होता
है।
जैसे :-
1. सुबह का समय था।
2. भारत मेरा देश है।
3. वह कितना सुंदर चित्र है।
☞ अर्धविराम (;) :- जहां पूर्ण विराम जितनी देर रुक कर उससे कुछ कम समय रुकना हो वहां अर्थ विराम का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग विपरीत अर्थ प्रकट करने के लिए भी किया जाता है।
जैसे :-
1. भगत सिंह नहीं रहे; वह अमर हो गए।
2. नदी में बाढ़ आ गई; सभी अपना घर बार छोड़कर जाने लगे।
☞ अल्पविराम (,) :- अल्पविराम का प्रयोग अर्धविराम से भी कम समय रुकने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग समान पदों को अलग करने, उपवाक्य को अलग
करने, उद्धरण से पूर्व, उपाधियों से पूर्व, संबोधन और अभिवादन के बाद आदि स्थानों पर होता है।
☞ प्रश्न सूचक (?) :- प्रश्न सूचक चिह्न जिनका प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्य या शब्दों के अंत में किया जाता है। कभी कभी संदेह, अनिश्चय व् व्यंगात्मक भाषा भाव की
स्थिति में इसे कोष्टक के बीच में लिखकर भी प्रयोग किया जाता है।
जैसे :-
1. क्या तुमने अपना गृहकार्य पूरा कर लिया?
2. तुम कब आओगे?
☞ विस्मय सूचक चिन्ह (!) :- खुशी, हर्ष, घृणा, दुख, करुणा, दया, शोक, विस्मय आदि भावों को प्रकट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। संबोधन के बाद भी इसका प्रयोग किया जाता है।
जैसे :-
1. वाह! कितना सुंदर पक्षी है। (खुशी)
2. अरे! तुम आ गए। (आश्चर्य)
3. ओह! तुम्हारे साथ तो बहुत बुरा हुआ। (दुःख)
☞ योजक चिह्न (-) :- इस प्रकार के चिह्न का प्रयोग युग्म शब्दों के मध्य या दो शब्दों के संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा शब्दों को दोहराने की स्थिति में किया जाता है। जैसे पीला सा, खेलते-खेलते, सुख-दुख।
जैसे :-
1. सभी के जीवन में सुख-दुख आते तो आते ही रहते हैं।
2. सफलता पाने के लिए दिन-रात एक करना पड़ता है।
☞ निर्देशक चिह्न (¬) :-
किसी भी निर्देश या सूचना देने वाले वाक्य के बाद में या किसी कथन को उद् धृत करने, उदाहरण देने, किसी का नाम (कवि, लेखक आदि का) लिखने के लिए किया जाता है।
जैसे :-
1. हमारे देश में अनेक देशभक्त हुए ¬ भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, गांधी जी आदि।
2. मां ने कहा – बड़ों का आदर करना चाहिए।
☞ उद्धरण चिह्न (” “) :- किसी के कहे कथन या वाक्य को या किसी रचना के अंश को ज्यो का त्यों प्रस्तुत करना हो तो कथन के आदि और अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। उद्धरण चिह्न दोनों प्रकार के होते हैं एक इकहरे (‘ ‘) तथा दोहरे (” “) इकहरे चिह्न का प्रयोग विशेष व्यक्ति, ग्रंथ, उपनाम आदि को प्रकट करने के लिए किया जाता है। जबकि किसी की कही हुई बात को ज्यो का त्यों लिखा जाए तो दोबारा दोहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग करते हैं।
जैसे :-
1. ‘गोदान’ प्रेमचंद का प्रसिद्ध उपन्यास है।
2. सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, “दिल्ली चलो।”
☞ विवरण चिह्न (:-) :- इसका प्रयोग विवरण या उदाहरण देते समय किया जाता है।
जैसे :-
• गांधी जी ने तीन बातों पर बल दिया :- सत्य अहिंसा और प्रेम।
☞ कोष्ठक ( ) चिह्न :- वाक्य के बीच में आए पदों अथवा शब्दों को प्रथक रूप देने के लिए कोष्टक में लिखा जाता है।
जैसे :-
• यहां चारों वेदों (साम, ऋग, यजु, अथर्व) की महत्ता बताई है।
☞ संक्षेप सूचक (.) :- किसी शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इस शब्द का पहला अक्षर लिख कर उसके आगे बिंदु (.) लगा देते हैं। यह शुन्य लाघव चिह्न के नाम से जाना जाता है।
जैसे :-
• बी. ए. डॉ. अनुष्का शर्मा, पं. राम स्वरुप शर्मा
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