Hindi Vyakaran Varna Vichar PDF
Hindi Vyakaran Varna Vichar PDF ( हिन्दी व्याकरण वर्ण ) : दोस्तो आज इस पोस्ट मे हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के वर्ण टॉपिक का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे । यह पोस्ट REET 2021, Patwari Bharti 2020, Gramsevak 2021, LDC, RPSC, RBSE REET, School Lecturer, Sr. Teacher, TGT PGT Teacher, 3rd Grade Teacher आदि परीक्षाओ के लिए महत्त्वपूर्ण है । अगर पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ।
हिन्दी व्याकरण वर्ण विचार ( Hindi Vyakaran Varna Vichar PDF)
व्युत्पति – वि + आङ् + कृ धातु + ल्यूट प्रत्यय अर्थात बोलना, लिखना, पढ़ना ।
परिभाषा – वह शास्त्र जिसके द्वारा किसी भाषा को शुद्ध रूप से बोलना, लिखना, पढ़ना सीखा जाता है ।
व्याकरण की सबसे लघूत्तम इकाई ध्वनि होती है । इसके लिखित रूप को वर्ण कहते है ।
वर्ण – मुंह से निकलने वाली वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े नहीं किये जा सकते उसे वर्ण कहते है । जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क्, ख् आदि।
वर्णो की संख्या –
- देवनागरी लिपि मे – 52
- लिखने के आधार पर – 55
- मूल रूप से – 52
- मुख्य रूप से – 44
- संयुक्त रूप से – 48
- संस्कृत मे – 63
उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिन्दी वर्णमाला के दो भेद किए गए हैं
- स्वर
- व्यंजन
1. स्वर :- जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता हो और जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक हों वे स्वर कहलाते है।
- कुल स्वर – 13
- मुख्य स्वर – 11 ( देवनागरी लिपि)
- मूल स्वर – 4
- भेद – 5
स्वर के भेद
- ह्रस्व स्वर / मूल स्वर / लघु / एकमात्रिक स्वर – अ, इ, उ, ऋ
- दीर्घ स्वर / गुरु / द्विमात्रिक स्वर – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
- प्लुत स्वर – ॐ
- संयुक्त / संधि स्वर – ए, ऐ, ओ, औ
- अयोगवाह ध्वनि – अं, अः
2. व्यंजन :- जिन वर्णों के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है वे व्यंजन कहलाते हैं। अर्थात व्यंजन बिना स्वरों की सहायता के बोले ही नहीं जा सकते।
- कुल व्यंजन – 37
- मुख्य व्यंजन – 33
व्यंजन के भेद : –
- स्पर्श
- अंतःस्थ
- ऊष्म
- उत्क्षिप्त / प्रताड़ित
- लुंठित
- पार्श्विक
- संयुक्त
1. स्पर्श :- इन्हें पाँच वर्गों में रखा गया है और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है
जैसे :-
- कवर्ग- क् ख् ग् घ् ड़्
- चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
- टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ्)
- तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
- पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्
2.अंतःस्थ :- ये निम्नलिखित चार हैं :-
- य् र् ल् व्
3. ऊष्म :- ये निम्नलिखित चार हैं :-
श् ष् स् ह्
4. उत्क्षिप्त / प्रताड़ित – ड़, ढ़ ( नोट : प्रश्न के विकल्प मे न होने पर – ट, ठ )
5. लुंठित – र ( जीभ मे कंपन होता है । )
6. पार्श्विक – ल ( जीभ के दोनों ओर से हवा बाहर निकलती है । )
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7. संयुक्त – जहाँ भी दो अथवा दो से अधिक व्यंजन मिल जाते हैं वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं, किन्तु देवनागरी लिपि में संयोग के बाद रूप-परिवर्तन हो जाने के कारण इन तीन को गिनाया गया है। ये दो-दो व्यंजनों से मिलकर बने हैं। जैसे-क्ष=क्+ष अक्षर, ज्ञ=ज्+ञ ज्ञान, त्र=त्+र नक्षत्र कुछ लोग क्ष् त्र् और ज्ञ् को भी हिन्दी वर्णमाला में गिनते हैं, पर ये संयुक्त व्यंजन हैं। अतः इन्हें वर्णमाला में गिनना उचित प्रतीत नहीं होता।
प्रयत्न / श्वास / समय के आधार पर वर्णों के भेद
- अल्पप्राण
- महाप्राण
1. अल्पप्राण – जिन वर्णों का उच्चारण करने में कम समय लगे अल्पप्राण कहलाते हैं । वर्ग का पहला, तीसरा, पांचवा वर्ण (क से म तक), य र ल व तथा सभी स्वर अल्पप्राण है ।
क से म तक | 15 वर्ण ( 1,3,5 वर्ण) |
---|---|
य, र, ल, व | 4 |
स्वर | 11 |
कुल | 30 |
2. महाप्राण – जिन वर्णों का उच्चारण करने में अधिक समय लगे महाप्राण कहलाते हैं । वर्ग का दूसरा व चौथा वर्ण (क से म तक) तथा श, ष, स, ह वर्ण आते हैं ।
क से म तक | 10 वर्ण ( 2,4 वर्ण) |
---|---|
श, ष, स, ह | 4 |
कुल | 14 |
- नोट व्यंजनों को स्वरों के बिना लिखा तो जा सकता है परंतु बोला या उच्चारण नहीं किया जा सकता ।
उच्चारण स्थान के आधार पर वर्णों के भेद
- कण्ठ्य – क, ख, ग, घ, अ, आ, : विसर्ग, ह
- तालव्य – च, छ, ज, झ, इ, ई, य, श
- मूर्धन्य – ट, ठ, ड, ढ, ऋ, र, ष
- दन्तय – त, थ, द, ध, लृ, ल, स
- ओष्ठ्य – प, फ, ब, भ, उ, ऊ
- नासिका – ङ, ञ, ण, न, म, अनुस्वार
- दन्तोष्ठ – व
- कण्ठ्य तालव्य – ए, ऐ
- कण्ठ्य ओष्ठ्य – ओ, औ
- वत्स्र्य – ज, न, र, ल, स
स्वर तंत्रिकाओं में कंपन के आधार पर वर्णों के भेद
- घोष/सघोष
- अघोष
1. घोष / सघोष – जिन वर्णों का उच्चारण करने से स्वर तंत्रिकाओं में कंपन हो जाए उन्हें घोष वर्ण कहते हैं । वर्ग (क से म तक) का तीसरा, चौथा, पांचवा वर्ण, य, र, ल, व, ह तथा सभी स्वर ।
क से म तक | 15 वर्ण ( 3,4,5 वर्ण) |
---|---|
य, र, ल, व, ह | 5 |
स्वर | 11 |
कुल | 31 |
2. अघोष वर्ण – जिन वर्णों का उच्चारण करने से स्वर तंत्रिकाओं में कंपन या गूंज नहीं होती है उन्हें अघोष वर्ण कहते हैं । वर्ग का पहला, दूसरा वर्ण व श, ष, स वर्ण आते हैं ।
क से म तक | 10 वर्ण ( 2,4 वर्ण) |
---|---|
श, ष, स, | 3 |
कुल | 13 |
Hindi Grammar and Pedagogy PDF ( हिन्दी व्याकरण एवं शिक्षण विधियाँ )
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